Jagdeep Dhankar Resigns: जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया, अचानक लिया गया यह फैसला कई को हैरान कर गया। जिसकी उम्मीद किसी ने नहीं की थी, जिसकी चर्चा राजनीतिक गलियारों तक में नहीं चल रही थी, वो फैसला धनखड़ ने सोमवार देर रात लिया। कारण उन्होंने स्वास्थ्य बताया, लेकिन नेताओं के बयान बता रहे हैं कि वजह से सियासी भी हो सकती है। अब असल कारण या सियासी कारण तो आने वाले दिनों में साफ होगा, इस समय हर कोई जगदीप धनखड़ के कार्यकाल को याद कर रहा है।

देश में जब भी उपराष्ट्रपति की बात होती है, उनके पास संवैधानिक अधिकार तो होते हैं, लेकिन कभी ज्यादा चर्चा नहीं की जाती। कितने उपराष्ट्रपति आए कितने उपराष्ट्रपति गए, लेकिन ऐसा नहीं देखने को मिलता कि उनके कार्यकाल को उस तरह से याद रखा जाए। इसका बड़ा कारण यह होता है कि उपराष्ट्रपति ज्यादा सक्रिय दिखाई नहीं देते, वे खुलकर अपने विचार नहीं रखते। लेकिन इसी मामले में जगदीप धनखड़ दूसरे कई उपराष्ट्रपतियों से एकदम अलग दिखाई दिए।

जगदीप धनखड़ जब पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बनाए गए थे, उनके तेवर साफ दिख चुके थे। उन्होंने उस समय भी साबित कर दिया था कि राज्यपाल भी मायने रखता है, उनकी सक्रियता के बिना भी कुछ नहीं हो सकता। अब विवाद हुए, तकरार हुई, लेकिन जगदीप धनखड़ जबरदस्त लोकप्रियता और सुर्खियां बंटोरते रहे। इसी वजह से जब बाद में जगदीप धनखड़ को उप राष्ट्रपति पद के लिए आगे किया गया, साफ समझ आ चुका था कि अब यह पद भी खूब सुर्खियां बंटोरने वाला है।

ऐसा हुआ भी और जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति की कुर्सी संभालते अलग ही तेवर दिखाएं, उन्होंने राह ऐसी पकड़ी जो किसी दूसरे वाइस प्रेसिडेंट तो नहीं पकड़ी थी। उन्होंने खुलकर अपने विचार रखें, उन्होंने बिना हिचके किसी एक पक्ष का समर्थन किया, जरूरत पड़ने पर सरकार तक को आईना दिखाया। शायद ही कोई दिन रहा जब जगदीप धनखड़ का बयान ना आया हो, उनकी खबर ना बी हो। यह बताने के लिए काफी रहा कि जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई है।

यहां जानते हैं जगदीप धनखड़ कुछ ऐसे बयान जो उन्हें तुरंत सुर्खियों और विवादों में लाए-

  1. साल 2023 में जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर अहम टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि संसद के बनाए कानूनों को अगर अदालत रोकने का काम करेंगी तो इस स्थिति में यह लोकतंत्र के लिए खतरा बन जाएगा। उनके इस बयान को विपक्ष ने आड़े हाथों लिया था, इसे न्यायपालिका के काम में हस्तक्षेप बताया गया था।
  2. मार्च 2023 को जगदीप धनखड़ ने छात्र राजनीति पर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने जोर देकर बोला था कि कुछ विश्विद्यालय देशविरोधी विचारधाओं के शरणस्थली बन चुके हैं। उनके इस बयान लेफ्ट और दूसरे संगठनों ने काफी विरोध किया था।
  3. मई 2024 में जगदीप धनखड़ ने बिना नाम लिए कई विपक्षी नेताओं को निशाने पर लिया था, उन्होंने संसद को बहिष्कार करने वाली उनकी मुहिम पर टिप्पणी की थी। धनखड़ ने कहा था कि कुछ लोग लोकतंत्र को खत्म करना चाहते हैं, ऐसे लोगों को संसद नहीं देशद्रोहियों के कटघरे में होना चाहिए।
  4. अक्टूबकर 2024 में जगदीप धनखड़ ने खुलकर सीबीआई और ईडी का भी समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि जो भी सीबीआई और ईडी पर सवाल उठाता है, वो भारत के न्यायिक तंत्र को कमजोर कर रहा है।
  5. जगदीप धनखड़ ने किसान आंदोलन के दौरान सरकार से भी तीखा सवाल पूछ लिया था। उन्होंने कहा था कि किसान संकट में है, अगर सरकार ने उनसे कोई वादा किया है तो उसे पूरा भी करना चाहिए, सरकार आखिर क्या कर रही है।

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