विमानन नियामक संस्था नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने इस साल अप्रैल में उत्तरी कर्नाटक के हुबली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के चार्टर्ड विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के कगार पर पहुंच जाने के लिए फ्लाइट कंट्रोल कंप्यूटर की खराबी और पायलटों को जिम्मेदार ठहराया है। 26 अप्रैल को गांधी को लेकर जा रहा दस सीटों वाला यह चार्टर्ड विमान उत्तरी कर्नाटक में हुबली हवाई अड्डे पर उतरने से पहले बायीं तरफ काफी नीचे झुक गया था और तेज कंपन के साथ वह काफी नीचे आ गया था। डीजीसीए के अनुसार विमान में गांधी के अलावा चार अन्य यात्री, दो पायलट, एक केबिन सदस्य, एक इंजीनियर थे।

बता दें कि इस विमान के साथ ‘जानबूझकर छेड़छाड़’ का आरोप लगाते हुए कांग्रेस पार्टी ने विमान के ‘संदिग्ध और त्रुटिपूर्ण प्रदर्शन’ की जांच की मांग की थी। जिसके बाद डीजीसीए ने इस घटना की जांच के लिए यह समिति बनायी थी। आज सार्वजनिक हुई 30 पन्नों की अपनी रिपोर्ट डीजीसीए की दो सदस्यीय समिति ने ‘लिगारे एविएशन’ द्वारा संचालित निजी फाल्कन 2000 जेट विमान में पहले से कोई गड़बड़ी होने से इनकार किया है। महानिदेशालय ने चार महीने पुरानी इस घटना के बारे में अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, “चालक दल ने केवल तभी कार्रवाई की जब मास्टर ने चेतावनी दी यानी ऑटोपायलट के हटने के 15 सेंकेंड के अंदर।” ऐसी चेतावनी कॉकपिट में लाल बत्ती और स्वर चेतावनी के रुप में आती है और पायलट को किसी भी हादसे को टालने के लिए तुरंत कदम उठाना होता है।

डीजीसीए ने कहा है, “संस्थागत जागरुकता के अभाव में विमान को नियंत्रित करने के लिए चालक दल द्वारा कदम उठाने में थोड़ी देरी हुई।” रिपोर्ट में कहा गया है कि जब विमान (41,000 फुट) की ऊंचाई पर था तो कमांडर ने हैदराबाद एटीसी से सीधे मार्ग पर जाने के लिए अनुरोध किया था। उस समय यॉ डैंपर (जो रोलिंग और कंपन को कम करने के लिए एक उपकरण है) असफल रहा और ऑटो पायलट हट गया। इस घटना के बाद गांधी के करीबी कौशल विद्यार्थी ने स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज करायी थी और इस घटना पर चिंता प्रकट करते हुए कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक को भी पत्र लिखा था। विद्यार्थी भी गांधी के साथ विमान में सवार थे। इसके बाद नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने इस घटना की विस्तृत जांच का आदेश दिया था।