असंगठित क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ रही है। एफएमसीजी, आभूषण और लघु मझोले उपक्रमों (एसएमई) जैसे अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्र प्रभावित हुए हैं वहीं असंगठित क्षेत्र में काम करने वालंों की बड़ी संख्या में नौकरी चली गई है। उद्योग मंडल एसोचैम ने रविवार को यह बात कही। एसोचैम के अध्यक्ष सुनील कनोडिया ने कहा कि नोटबंदी को बिना तैयारियों के लागू किया गया। संभवत: नोटबंदी के प्रभाव और चुनौतियों के बारे में ठीक से समझ नहीं बनाई गई। कनोडिया ने कहा, ‘इसके लिए काफी काम किए जाने की जरूरत थी। जिस तरीके से इसे लागू किया गया है, मुझे भरोसा है कि प्रधानमंत्री भी इससे खुश नहीं होंगे।’ उन्होंने कहा कि नोटबंदी से मौजूदा परिदृश्य प्रभावित होगा। इसका सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर भी असर होगा।

सरकार द्वारा पांच सौ और एक हजार रुपए का नोट बंद करने के बाद से जमीनी हालात पर कनोडिया ने कहा कि आभूषण कंपनियों पर इसका सबसे अधिक असर हुआ है। उपभोक्ता सामान क्षेत्र और लघु एवं मझोले उद्योग भी इससे प्रभावित हुए हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या इससे कंपनियों की आमदनी प्रभावित होगी, मौजूदा और अगली तिमाही में,कनोडिया ने कहा कि कुछ कारोबार जो सीधे उपभोक्ताओं से जुड़ा है निश्चित रूप से इससे प्रभावित होगा। कनोडिया ने जोर देकर कहा है कि नोटबंदी के वांछित नतीजे हासिल करने के लिए ‘बड़े कर सुधारों’ की जरूरत है। खासकर कालेधन और भ्रष्टाचार पर अंकुश की दृष्टि से। उन्होंने कहा कि आगामी बजट सरकार के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण साबित होगा। कनोडिया ने कहा कि सरकार को कर दरों को इस हद तक कम करना होगा जिससे कालेधन का सृजन करने वाले लोगों को हतोत्साहित किया जा सके।

उन्होंने कहा कि आयकर छूट सीमा को ढाई लाख रुपए से बढ़ा कर कम से कम पांच लाख रुपए किया जाना चाहिए। इसी तरह 15 से 20 लाख रुपए की आय पर दस फीसद की दर से कर लगना चाहिए। कनोडिया ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की औसत दर को 18 से 15 फीसद किया जाना चाहिए। यह पूछे जाने पर कि क्या अर्थव्यवस्था में मध्यम अवधि में नौकरियों की कटौती होगी, उन्होंने कहा, ‘असंगठित क्षेत्र जहां दैनिक आधार पर श्रमिकों को मजदूरी मिलती है उस पर फिलहाल कुछ असर पड़ेगा। बिक्री प्रभावित होगी। अर्थव्यवस्था का लघु, असंगठित क्षेत्र इससे प्रभावित होगा।’ उन्होंने कहा कि संसद में गतिरोध अच्छा संकेत नहीं है। राजनीतिक दलों को अधिक परिपक्वता दिखाने की जरूरत है।