जू में रखे अफ्रीकी हाथी को लेकर ग्लोबल संगठन ने दिल्ली के चिड़ियाघर की सदस्यता निलंबित की। जू और एक्वेरियम के एक वैश्विक संगठन ने एक अफ्रीकी हाथी के चलते सोमवार को दिल्ली के नेशनल जूलॉजिकल पार्क की मेंबरशिप रद्द कर दी। दिल्ली जू पर आरोप है कि वहां अफ्रीकी हाथी ‘शंकर’ को जंजीरों में बांधकर रखा गया था।
जिम्बाब्वे ने 1996 में तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा को यह हाथी उपहार में दिया था। इसे भारत लाया गया और दिल्ली के जू में रखा गया था। शंकर के साथ ही एक और अफ्रीकी हाथी ‘बंबई’ भी भारत आया था, जिसकी 2005 में मौत हो गयी थी।
दिल्ली चिड़ियाघर के निदेशक संजीत कुमार ने पीटीआई-भाषा से बातचीत के दौरान कहा कि निलंबिन की कार्रवाई पर जवाब दिया जाएगा। सस्पेंशन के मुद्दे पर कुमार और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अधीन केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण को लिखे पत्र में ‘वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ जू एंड एक्वेरियम्स’ (WAZA) ने कहा कि पहले उसने हाथी के के संबंध में उनसे जानकारी मांगी थी जिसके जवाब 24 मई और 24 जुलाई को मिले।
निलंबन हटाने के लिए जू को मिले 6 महीने
न्यूज एजेंसी पीटीआई को भी इस लेटर की एक कॉपी मिली है, जिसमें लिखा गया है, ‘‘इस मामले की गहन पड़ताल के बाद वाजा परिषद ने राष्ट्रीय प्राणि उद्यान, नई दिल्ली की वाजा की सदस्यता तत्काल निलंबित करने के पक्ष में मतदान किया है।’’
वाजा ने कहा कि निलंबन हटाने के लिए जू को छह महीने के अंदर या तो शंकर को किसी नई जगह भेजने या उसकी देखभाल को लेकर सभी चिंताओं पर व्यापक रूप से ध्यान देने के लिए योजना बनानी होगी। एसोसिएशन ने कहा कि इस योजना पर वाजा की मंजूरी लेना जरूरी होगा और शंकर की स्थिति में अहम सुधार दिखना चाहिए।
निलंबन से क्या पड़ेगा असर?
पत्र में चेतावनी दी गई है कि अगर जू शंकर का स्थान बदलने या चिंताओं पर ध्यान देने के लिए सात अप्रैल, 2025 तक वाजा-स्वीकृत योजना लागू नहीं करता तो उसकी सदस्यता स्थायी रूप से समाप्त कर दी जाएगी। निलंबन होने से चिड़ियाघर के समस्त सदस्यता अधिकार और लाभ समाप्त हो जाएंगे, जिनमें सम्मेलनों और समितियों की बैठकों में भाग लेना शामिल है।
पत्र में कहा गया है कि दिल्ली जू के पास 60 दिनों के भीतर WAZA अध्यक्ष को पत्र लिखकर इस निर्णय के खिलाफ अपील करने का विकल्प है लेकिन अपील प्रक्रिया के दौरान निलंबन यथावत रहेगा। गौरतलब है कि 1935 में स्थापित, WAZA दुनिया भर में जानवरों और उनके आवासों के कल्याण के उच्च मानकों को बढ़ावा देता है। लगभग 400 प्रमुख संस्थान और संगठन इसके सदस्य हैं।
(Input- PTI)