राजधानी का पारा पिछले कुछ दिनों से लगातार चढ़ता जा रहा है। इस गर्मी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। भीषण गर्मी के प्रकोप से जानवर भी अछूते नहीं है, गर्मी ने जानवरों का जीना मुहाल कर दिया है। ऐसे में राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (दिल्ली चिड़ियाघर) प्रशासन ने वन्यजीवों के लिए ग्रीष्मकालीन प्रबंधन कार्यक्रम बनाया है।
बाड़ों में किए गये वैकल्पिक इंतजाम
इस कार्यक्रम के तहत जानवरों की बढ़ती गर्मी में विशेष देखभाल की जा रही है। पूरे चिड़ियाघर में जगह-जगह स्प्रिंकलर (सिंचाई करने वाला) लगाए गए हैं जो जानवरों को राहत दे रहे हैं। साथ ही खान-पान में भी काफी बदलाव किया गया है। बता दें कि वन्यजीवों के बाड़ों में बने सभी जलनिकायों की मरम्मत करवाकर पानी को वैकल्पिक रूप से भरा जा रहा है।
जल कुंडों के ऊपर शेड लगवाए गये
दिन के समय इन जलनिकायों में पानी को चालू हालत में छोड़ा जा रहा है ताकि वो गर्म ना हो। जानवरों को दो पालियों में प्रदर्शनी के लिए छोड़ा जाएगा। सुबह 6-12 व दूसरी पाली में दोपहर 12-5 बजे तक। यही नहीं चिड़ियाघर में बने सभी जल खंदकों जिनमें रुका हुआ पानी है उन्हें पंप से बाहर निकालकर, वहां सफाई व कीटाणुशोधन कर दोबारा भरा जा रहा है। पानी को गर्म होने से बचाने के लिए सभी जल कुंडों के ऊपर शेड की व्यवस्था भी की जा रही है। बाघ, शेर, तेंदुआ, सियार, लकड़बग्घा, भेड़िया, जंगली कुत्ता और भारतीय लोमड़ी सहित सभी मांसाहारी व शाकाहारी बाड़ों में स्प्रिंकलर चालू किए जा रहे हैं। साथ ही वाटर कूलर लगाए जा रहे हैं।
ग्रीष्मकाल में मांसाहारी वन्यजीवों के आहार को भी कम किया गया है। शाकाहारी बाड़े में जहां सांभर हिरण, मणिपुरी हिरण, बार्किंग हिरण, दलदली हिरण, होग हिरण, चिंकारा, नीलगाय, काला हिरण, गैंडा हैं, वहां उनके नीचे आराम करने के लिए बाड़े के विभिन्न स्थानों पर बांस टाटी व पुआल से बने कृत्रिम शेड लगवाए गए हैं। हाथियों (शंकर, हीरागज और राजलक्ष्मी) को प्रेशर पंप का उपयोग करके न्यूनतम तीन बार पानी की बौछार दी जा रही है साथ ही उनके बाड़ों में वैकल्पिक रूप से रेत का सांचा लगाया गया है।
खाने का रखा जा रहा विशेष ध्यान : चिड़ियाघर निदेशक
दिल्ली चिड़ियाघर निदेशक संजीत कुमार ने बताया कि गर्मियों में जानवरों के खान-पान का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। भालूओं को बड़ी बर्फ की चट्टाने खाने को दी जा रही हैं। फलों के साथ बर्फ के टुकड़े भी दिए जा रहे हैं। अतिरिक्त मौसमी फल बंदर, भालू, हाथियों को दिए जा रहे हैं।