देश की राजधानी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब हो गई है। दिल्ली धुंध की चादर में लिपटी हुई है। इसकी वजह से दिल्ली का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी प्रभावित हुआ है। इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर कई उड़ाने विजिबिलिटी के कारण प्रभावित हुई है। 18 नवंबर को खराब विजिबिलिटी के कारण 15 उड़ानों को डायवर्ट किया गया। हवाईअड्डे के सूत्रों के अनुसार कुछ पायलटों को CAT III संचालन में प्रशिक्षित नहीं होने के कारण उड़ानों को डायवर्ट किया गया।

CAT III क्या होता है?

सीधे शब्दों में कहें तो CAT III एक इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) है जो विमानों को बेहद कम विजिबिलिटी की स्थिति में उतरने की अनुमति देता है। किसी विमान को उड़ाने में लैंडिंग को सबसे कठिन और सबसे खतरनाक पहलू माना जाता है। बोइंग की रिसर्च के अनुसार लैंडिंग में औसत उड़ान समय का लगभग 4% समय लगता है। लेकिन 49% दुर्घटना इसी दौरान होती हैं।

खराब विजिबिलिटी उन कई कारणों में से एक है जो विमान की लैंडिंग को मुश्किल बनाते हैं। ऐसी स्थितियों में पायलटों के पास कोई संकेत नहीं होते हैं जिन पर वे विमान को उतारते समय भरोसा कर सकें। गलत समय पर या गलत तरीके से किए गए टचडाउन से दुर्घटनाओं का खतरा काफी बढ़ जाता है।

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यही कारण है कि आधुनिक विमान और रनवे विभिन्न प्रकार के उपकरणों से सुसज्जित होते हैं जो कम या शून्य विजिबिलिटी में भी विमान को उतरने की अनुमति देते हैं। आईएलएस एक विशिष्ट ग्राउंड-आधारित रेडियो नेविगेशन प्रणाली है, जो पायलटों को उनके विमान के ग्लाइड पथ और रनवे के बारे में सटीक जानकारी प्रदान करती है।

आईएलएस पायलट को दो प्रमुख जानकारी प्रदान करता है जिनकी उसे विमान को उतारते समय आवश्यकता होती है। सबसे पहले दिशा प्रदान करता है। यह जानकारी आईएलएस लोकलाइज़र की मदद से प्रदान की जाती है, जिसके एंटीना आमतौर पर रनवे के दूर के छोर पर स्थित होते हैं। जीएस एंटीना एलओसी एंटीना की तरह ही काम करते हैं, वे बस एक तरफ मुड़े होते हैं।

आईएलएस की कितनी श्रेणी?

आईएलएस पैरामीटर को दो मापदंडों के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। डिसिजन हाइट (DH) और रनवे विज़ुअल रेंज (RVR)। DH का अर्थ सबसे कम ऊंचाई से है, जहां तक ​​पायलट पूरी तरह से आईएलएस पर भरोसा कर सकते हैं। इस ऊंचाई पर यदि आरवीआर (वह दूरी जिस पर एक पायलट रनवे की रोशनी या निशान देख सकता है) एक निश्चित सीमा से नीचे है, तो लैंडिंग को रद्द करना होगा।

कोई विमान आईएलएस-आधारित लैंडिंग की एक निश्चित श्रेणी बनाने में सक्षम है या नहीं, यह उस पर लगे उपकरण, जमीन पर मौजूद उपकरण और पायलट के प्रशिक्षण पर निर्भर करता है। वर्तमान में, छह भारतीय हवाई अड्डे (दिल्ली, लखनऊ, जयपुर, अमृतसर, बेंगलुरु और कोलकाता) CAT IIIB संचालन को संभालने के लिए सुसज्जित हैं। भारत के पास CAT IIIC संचालन में सक्षम एक भी हवाई अड्डा नहीं है। न्यूयॉर्क के जॉन एफ कैनेडी हवाई अड्डे और लंदन हीथ्रो हवाई अड्डे जैसे हवाई अड्डे CAT IIIC लैंडिंग में सक्षम हैं।