पूर्वोत्तर दिल्ली में दंगाों के मामले में जांच कर रही दिल्ली पुलिस को जांच में पता चला है कि मुख्य आरोपियों में से एक खालिद सैफी ने मलेशिया में विवादास्पद इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक से दंगों के सिलसिले में मुलाकात की थी। सैफी के एनजीओ (जिसे वह मेरठ के एक व्यक्ति के साथ चलता है) ने इसके बाद सिंगापुर स्थित एनआरआई से धन प्राप्त किया। पुलिस को इन एनआरआई पर शक है कि ये भारत में अशांति पैदा करने के लिए कई विदेशी आधारित संस्थाओं में पैसा लगाते थे।

खुफिया जानकारी के अलावा सैफी के पासपोर्ट और यात्रा विवरण से पता चला है कि उसने भारत के बाहर यात्रा की और भगोड़े नाइक से मुलाकात की ताकि अपना एजेंडा फैलाने के लिए समर्थन और धन प्राप्त कर सके। पुलिस द्वारा अभी एनजीओ के साथी से पूछताछ करना बाकी है। क्योंकि आखिरी बार उसने खुद के क्वारंटाइन होने की सूचना दी थी। सूत्रों ने बताया कि दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल द्वारा अब संदिग्धों और फंडिंग का ब्योरा मांगने के लिए एक पत्र सिंगापुर और मलेशिया भेजने की संभावना है।

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टीओआई के मुताबिक दस्तावेजों से यह भी पता चलता है कि पुलिस ने पाया है कि पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां ने कथित रूप से एक संदिग्ध मार्ग से गाजियाबाद में एक रिश्तेदार और महाराष्ट्र में कुछ संस्थाओं के माध्यम से धन प्राप्त किया था। सैफी और इशरत दोनों को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया है। सैफी एक व्यापारी है जो ‘यूनाइटेड अगेंस्ट हेट’ से जुड़ा हुआ है, जिसे उमर खालिद और अन्य लोगों द्वारा स्थापित किया गया था।

जांच में खुलासा हुआ है कि दिल्ली में विभिन्न जगहों पर एंटी सीएए/एनआरसी विरोध स्थल शुरू किए गए थे और उन सभी का प्रबंधन जामिया समन्वय समिति (जेसीसी) के सदस्यों द्वारा किया जा रहा था। पुलिस जांच में कहा गया कि जेसीसी सदस्यों, स्थानीय लोगों और सेलिब्रिटी वक्ताओं को नफरत फैलाने वाले भाषण देने के लिए और अन्य समुदायों और सरकार के खिलाफ जनता को उकसाने के लिए नागरिकता विरोधी अधिनियम को मुस्लिम समुदाय के खिलाफ एक कानून करार दिया गया। आयोजकों और वक्ताओं ने दूसरे समुदाय और देश को बदनाम करने के लिए भाषण दिए।