पिछले दिनों दिल्ली में हुयी हिंसा के मुद्दे पर राज्यसभा में गुरुवार को भी विपक्षी दलों के सदस्यों ने हंगामा किया जिसकी वजह से सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजकर करीब पांच मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी। इस दौरान उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने नारेबाजी करने पर विपक्षी सांसदों को चेतावनी देते हुए कहा कि यह संसद है, बाजार नहीं।

सुबह, बैठक शुरू होने पर नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उनकी पार्टी कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की ओर से तय किया था कि दिल्ली में हिंसा के मुद्दे पर चर्चा होने के बाद ही कोई अन्य बहस होने दी जाएगी। लेकिन कोरोना वायरस की गंभीरता को देखते हुए विपक्षी दल नहीं चाहते कि देश के लोग सरकार द्वारा इस रोग पर काबू के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी से वंचित रहें। लेकिन दिल्ली में हिंसा के मुद्दे पर 11 मार्च को चर्चा होने तक कोई अन्य कामकाज नहीं होने दिया जाएगा। इस पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि वह इस दलील से सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही शर्तों पर नहीं चल सकती।

सरकार ने कहा कि दिल्ली में हिंसा मुद्दे पर लोकसभा में 11 मार्च को और राज्यसभा में 12 मार्च को चर्चा निर्धारित है। इसके बाद स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने देश में कोरोना वायरस से उत्पन्न स्थिति और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में अपनी ओर से एक बयान दिया। मंत्री के बयान के बाद नेता प्रतिपक्ष आजाद सहित विभिन्न दलों के सदस्यों ने कोरोना वायरस के प्रसार पर काबू के लिए अपने अपने सुझाव दिए।

इसके बाद सभापति एम वेंकैया नायडू ने शून्यकाल शुरू करने को कहा। लेकिन विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वाम, सपा, बसपा, आप सहित विभिन्न दलों के सदस्यों ने आसन के समीप आकर नारेबाजी शुरू कर दी।

सभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों को आगाह किया कि जिन सदस्यों के शून्यकाल के नोटिस स्वीकार कर लिए गए हैं और वे सदन में मौजूद होने के बाद अपने मुद्दे नहीं उठाते तो उन्हें मौजूदा सत्र की शेष अवधि में दोबारा मौका नहीं मिलेगा। हंगामे के दौरान ही कुछ सदस्यों ने लोक महत्व से जुड़े अपने अपने मुद्दे उठाए।

शून्यकाल की अवधि पूरी हो जाने के बाद सभापति ने प्रश्नकाल शुरू कराने का प्रयास किया। लेकिन सदन में हंगामा जारी रहा।
सभापति नायडू ने हंगामा कर रहे सदस्यों से शांत होने और प्रश्नकाल चलने देने की अपील की। लेकिन सदन में शोरगुल थमता नहीं देख उन्होंने बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी। (भाषा इनपुट के साथ)