दक्षिण दिल्ली के शाहीनबाग में सौ दिनों से चल रहा धरना-प्रदर्शन खत्म करने के लिए दिल्ली पुलिस ने पूरी योजना के साथ सोमवार रात को ही आपरेशन शाहीनबाग चलाया। महिलाओं, बुजूर्गो और बच्चे-बच्चियों को साथ लेकर और दो दिनों से तख्त पर जूते जप्पल रखकर प्रदर्शन करने वालों को रातों-रात हटा दिया गया। पुलिस ने आपरेशन शाहीनबाग में इस बात का खास ध्यान रखा कि किसी को कोई चोटें नहीं पहुंचे और रास्ता खाली हो जाए। दिन में योजना को इसलिए अंजाम नहीं दिया गया ताकि किसी भी प्रकार का हंगामा न खड़ा हो जाए।

बताया जा रहा है कि सोमवार दिनभर पूर्ण बंदी के बावजूद लोगों की लापरवाही को देखते हुए मुख्यमंत्री केजरीवाल और दिल्ली पुलिस के प्रधान एसएन श्रीवास्तव ने कहा था कि अब नियम तोड़ने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा। कोरोना और धारा 144 के नाम पर दक्षिणी क्षेत्र के संयुक्त आयुक्त देवेश चंद्र श्रीवास्तव की अगुवाई में पुलिस देर रात करीब दो बजे धरना खत्म करवाने के लिए शाहीन बाग पहुंची। कुछ लोग धरनास्थल पर बैठे थे। पुलिस ने पहले माइक से उद्घोषणा कर वहां बैठे लोगों से हटने की अपील की। इससे पहले पूरे इलाके के हर गली मुहल्ले में पीसीआर और स्थानीय पुलिस की गाड़ियां अवरोधक लगाकर लोगों को बाहर निकलने से पूरी तरह से मना कर दिया।

बावजूद इसके आसपास के लोगों को जब पुलिस के आने की सूचना मिली तो आनन-फानन में कुछ प्रदर्शनकारी पहुंचने लगे। देखते ही देखते कुछ सौ लोग पुलिस का विरोध करने के लिए मौके पर पहुंच गए। जब पुलिस को लगा कि उसकी योजना सफल नहीं हो पाएगी तो उसने धारा 144 का हवाला देते हुए भीड़ पर हल्का बल प्रयोग करना शुरू कर दिया। इसके बाद तय योजना के मुताबिक पहले से तैनात दर्जन भर बड़े ट्रकों को प्रदर्शन स्थल के पास लगाया गया और टेंट उखाड़कर और तख्त उठाकर सभी को ट्रक में भर दिया गया।

पुलिसिया कार्रवाई से प्रदर्शनकारी भी डर गए और फिर मंगलवार जब स्थानीय लोगों की नींद टूटी तो सुबह होते होते पूरे इलाके को खाली करा दिया गया। शाहीनबाग के इस धरना को खत्म करने में करीब पांच घंटे लगे और भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर विरोध के स्वर को कोरोना के नाम पर खाली करा दिया गया।

ट्रकों में भरकर सामान हटवाया
पुलिस का कहना है कि प्रतीकात्मक रूप में बैठे पांच लोगों को उठाने में पुलिस को उतनी मशक्कत नहीं करनी पड़ी जितनी वहां स्थाई तौर पर लाइन में लगाए गए लकड़ी के तख्त और लोहे की छड़ से बांधकर टेंट को हटाने में लग गए। वहां पर रखे सामान की संख्या का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है इसके लिए कई ट्रकों को लाना पड़ा। बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों को हटाने के दौरान लोगों ने बस स्टाप पर स्थाई निर्माण करके पक्का कमरा जैसे बना लिया था। पुलिस को इस स्थाई निर्माण को हटाने में बुलडोकर बुलानी पड़ी।