Delhi LG VK Saxena vs Medha Patkar Defamation Case: सोशल एक्टिविस्ट मेधा पाटकर को दिल्ली की अदालत ने बड़ी राहत दी है। दिल्ली एलजी वीके सक्सेना बनाम सामाजिक कार्यकर्ता मामले में मेधा पाटकर को फिलहाल जेल नहीं जाना पड़ेगा। मानहानि मामले में दिल्ली के साकेत कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को उनके अच्छे आचरण के आधार पर एक साल के प्रोबेशन पर रिलीज करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने उनकी उम्र, पहले कोई दोष सिद्ध न होने और उनके द्वारा किए गए अपराध को देखते हुए यह आदेश पारित किया। सोशल एक्टिविस्ट पर लगाया गया 10 लाख रुपये का मुआवज़ा भी घटाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया है, जिसे उन्हें जमा करना होगा। मेधा पाटकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए कोर्ट में पेश हुईं। इससे पहले सेशन कोर्ट ने उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा था। एलजी वीके सक्सेना द्वारा दायर मानहानि मामले में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया और पांच महीने की कैद की सज़ा सुनाई थी।
मेधा पाटकर को जेल में समय नहीं बिताना पड़ेगा
अदालत ने आदेश दिया कि मेधा को डीफेमेशन केस में जेल में समय नहीं बिताना पड़ेगा। साकेत कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) विशाल सिंह ने कहा कि पाटकर एक उल्लेखनीय सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिन्हें उनके कामों के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं और उनके द्वारा किया गया अपराध इतना गंभीर नहीं है कि उन्हें कारावास की सजा दी जाए।
न्यायाधीश सिंह ने कहा, “अदालत ने अच्छे आचरण के कारण उन्हें रिहा करने का फैसला किया है। उन्हें एक साल के प्रोबेशन पर रिहा किया जा रहा है।” अदालत ने उन पर लगाया गया 10 लाख रुपये का जुर्माना भी कम करने का फैसला किया और कहा कि वह सक्सेना को मुआवजा देंगी। पिछले सप्ताह अदालत ने मानहानि के अपराध में मेधा पाटकर को दोषी ठहराए जाने के मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा था।
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दिल्ली एलजी वीके सक्सेना बनाम सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर केस
मई 2024 में दिल्ली की एक अदालत ने वीके सक्सेना को बदनाम करने के आरोप में मेधा पाटकर को दोषी ठहराया था। जुलाई 2024 में दिल्ली की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने मेधा पाटकर को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत मानहानि का दोषी ठहराया था और उन्हें पांच महीने के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। साथ ही उन्हें सक्सेना को 10 लाख रुपये का मुआवज़ा देने का भी आदेश दिया गया था। बाद में मेधा पाटकर को जमानत दे दी गई और सत्र न्यायालय में अपील के बाद उनकी 5 महीने की कठोर कारावास की सज़ा पर रोक लगा दी गई।
मेधा पाटकर ने वीके सक्सेना के खिलाफ जारी की थी प्रेस रिलीज
वीके सक्सेना ने 24 नवंबर, 2000 को पाटकर द्वारा अपने खिलाफ अपमानजनक प्रेस रिलीज जारी करने के लिए नेशनल काउंसिल ऑफ सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष के रूप में मामला दायर किया था। 24 मई 2024 को एक मजिस्ट्रेट अदालत ने पाया था कि पाटकर द्वारा सक्सेना को ‘कायर’ कहने और हवाला लेनदेन में उनकी संलिप्तता का आरोप लगाने वाले बयान न केवल अपने आप में अपमानजनक थे, बल्कि उनके बारे में नकारात्मक धारणा बनाने के लिए भी गढ़े गए थे। अदालत ने कहा था कि यह आरोप भी सक्सेना की ईमानदारी और जनसेवा पर सीधा हमला था कि वह गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए ‘गिरवी’ रख रहे थे। पढ़ें- देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स
