पूर्णबंदी के दौरान घरेलू हिंसा के बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण ने इस बाबत अनूठी पहल की है। इस प्रोजेक्ट का नाम ‘सहेली’ रखा गया है। पूरी दिल्ली में मदर डेयरी, डीएमएस और कुछ चुनिंदा जगहों पर विधिक सेवा प्राधिकरण ने एक सुविधा दी है जिसके जरिए घरेलू हिंसा पीड़ित अपनी आपबीती जज तक पहुंचा सकती हैं।
मदर डेयरी और डीएमएस जैसी जगहों पर यहां एक फार्म मिलेगा जिसको भर कर पीड़ित को वहीं जमा कर देना होगा। पीड़ित का नाम, नंबर, पता आदि की जगह है। संक्षेप में हिंसा की जानकारी भी दी जा सकती है। इसके बाद दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण का वकील पीड़ित से संपर्क साधेगा। पूरी तरह नि:शुल्क कानूनी परामर्श देगा। इलाके के एसएचओ के संज्ञान में बात लाई जाएगी। पहले मध्यस्थता की बात होगी। घर गृहस्थी बरकरार रखने और अपनों के बीच आए दुराव को खत्म या कम करने की पहल होगी। बात नहीं बनी तो भारतीय दंड संहिता की धाराओं का उपयोग होगा। आगे का काम पुलिस और वकील करेंगे।
जज श्रेया ने कहा-पूर्णबंदी में पीड़ित को कहीं भटकने या आने-जाने की जरूरत नहीं है। दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण उनके साथ खड़ा है। उन्होंने कहा-वैसे तो किसी भी व्यक्ति के लिए उसके घर को सबसे सुरक्षित स्थान माना जाता है, लेकिन जरूरी नहीं है कि महिलाओं के मामले में भी यह हमेशा सही हो। लिहाजा उन्हें आगे आना चाहिए। कई महिला यह न भूलें कि कानून के हाथ लंबे हैं।
बता दें कि पूर्णबंदी के दौरान महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा के मामलों में जबरदस्त उछाल आया है। इसे लेकर एक मामला दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा था। दिल्ली में भी मामले बढ़े थे। लिहाजा, दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण ने पूर्णबंदी में घरेलू हिंसा के खिलाफ ‘सहेली’ शुरू किया। इसके पीछे की सोच यह थी कि दूध-सब्जी लेने के लिए लोग निकल रहे हैं। महिलाएं अक्सर मदर डेयरी पर जाती ही हैं। अगर कोई पूर्णबंदी में घरेलू हिंसा की शिकार हुई हों तो उसकी शिकायत भी मदर डेयरी के बूथ पर आसानी से दर्ज करा सकती हैं। इससे ‘न्याय आपके द्वार’ वाला संकल्प भी बलवती होगा। पीड़ित यानि घरेलू हिंसा की शिकार महिलाएं अपनी शिकायत दर्ज कराने के अलावा परामर्श और कानूनी सहायता भी हासिल कर सकती हैं।
पूर्णबंदी में घर से ही पुलिस को फोन करना महिलाओं के लिए मुश्किल है, क्योंकि घरेलू हिंसा करने वाला व्यक्ति घर पर ही उनके साथ बैठा है। कुछ के पास अपने फोन भी नहीं है। ऐसे में यह योजना उनके लिए खासी सहायक है। इसके अलावा वहां मौजूद वॉट्सएप नंबर पर भी महिलाएं अपनी शिकायत दर्ज करा सकती हैं। आंगनबाड़ी से जुड़े लोगों को भी इसमें जोड़ा गया है।
दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण ने हाल ही में पाया है कि देश की राजधानी दिल्ली घरेलू हिंसा के मामलों में 20 मई तक पूरे देश में तीसरे नंबर पर रही। घरेलू हिंसा के बढ़े होने के पीछे का कारण पूर्णबंदी में पुरुषों के घर में महीनों से बंद होने के बाद के तनाव को भी माना जा रहा है। जज ने कहा कि पहले हम समझाने की ही कोशिश करते हैं। कानूनी विकल्प की जरूरत तब है, जब बातचीत से समाधान ना निकले। न्याय दिलाने के लिए कानूनी मदद भी सरकार दे रही है।
तीन चरणों के तहत होगा काम
दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव व न्यायाधीश श्रेया आरोड़ा मेहता ने कहा- हमने इस प्रोजेक्ट का नाम ‘सहेली’ दिया है। जिसके तीन चरण हैं। शिकायत आने पर अपराध की श्रेणी का मूल्यांकन किया जाता है। तुरंत पीड़ित से संपर्क साधा जाता है। जरूरत पर वीडियो कॉलिंग के जरिए वकील व विधि सेवा के अदालती लोग पीड़ित से रूबरू होते हैं। जरूरत के मुताबिक थाने को भी इसमें निर्देश दिए जाते हैं। अगर मामला नहीं सुलझा तो अदालती कार्यवाही शुरू की जाती है।

