दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को आसाराम बापू की दोषसिद्धि पर लिखी किताब ‘गनिंग फॉर द गॉडमैन: द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम्स कनविक्शन’ के प्रकाशन पर लगी अंतरिम रोक हटा दी। जस्टिस नजमी वजीरी ने कहा कि निचली अदालत का एक पक्षीय फैसला और किताब के विमोचन की पूर्व संध्या पर उसे जारी करने पर लगायी गयी रोक दरकिनार की जाती है।
हाईकोर्ट ने प्रकाशक हार्पर कॉलिन्स की याचिका पर यह आदेश दिया जिसने किताब के प्रकाशन पर लगी अंतरिम रोक हटाने का अनुरोध किया था। निचली अदालत ने मामले में आसाराम के साथ दोषी ठहरायी गयी एक अन्य महिला की याचिका पर किताब के प्रकाशन पर रोक लगाई थी। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाते हुए किताब के प्रकाशक हार्पर कॉलिन्स को आदेश दिया कि वह किताब के साथ एक डिस्कलेमर शामिल करे जिसमें लिखा हो कि आरोप सिद्ध होने के खिलाफ अपील अभी लंबित है।
ट्रायल कोर्ट में, महिला सह-दोषी के वकील, विजय अग्रवाल ने कहा था कि किताब “एक सच्ची कहानी होने का दावा करती है, लेकिन इसमें और ट्रायल रिकॉर्ड में अंतर है। सबसे महत्वपूर्ण रूप से संचिता की अपील के साथ इंटरफेयर किया गया है जो कि अभी अदालत में विचाराधीन है। राजस्थान हाईकोर्ट ने पहले ही उसकी सजा निलंबित कर दी थी।
इस किताब को अजय पाल लांबा ने लिखा है, जो अब जयपुर के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त हैं। किताब के सह-लेखक संजीव माथुर हैं। पुस्तक में मामले की जांच और 2005 बैच के आईपीएस अधिकारी के नेतृत्व वाली एक टीम ने 2013 में दिल्ली पुलिस से बलात्कार की शिकायत मिलने के 10 दिनों के भीतर आसाराम को गिरफ्तार किया था।
मालूम हो कि अप्रैल 2018 में जोधपुर में एक विशेष अदालत ने आसाराम को एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार का दोषी पाया था। आसाराम पर विभिन्न आईपीसी की धाराओं, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम के तहत आरोप लगाया। अदालत ने आजीवन कारावास और 1 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी।