दिल्ली हाईकोर्ट ने एयर इंडिया के उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसमें बीते साल अगस्त में पायलट्स को नौकरी से निकालने का फरमान जारी किया गया था। कोर्ट ने सभी पायलट्स को तत्काल बहाल करने को कहा है। इनमें कांट्रेक्ट पर काम करने वाले वो कर्मी भी शामिल हैं, जिनकी सेवाएं एयर इंडिया ने समाप्त कर दी थीं। कोर्ट ने ये भी कहा कि एअर इंडिया बहाल किए गए पायलटों को बकाया वेतन का भुगतान भी करेगा।
हाई कोर्ट ने ये भी कहा कि कॉन्ट्रैक्ट पर रखे गए पायलटों का भविष्य में अनुबंध बढ़ाने का फैसला एयर इंडिया उनके काम के आधार पर करेगी। कोर्ट ने कहा कि इस पर विस्तृत फैसला बुधवार को जारी किया जाएगा। मंगलवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को विसातर से सुनने के बाद माना कि एयर इंडिया का फैसला गलत है। पायलट्स को नौकरी से निकलने का जो फैसला बीते साल किया गया था, उससे कई परिवार संकटग्रस्त हो गए हैं।
एयर इंडिया ने बीते साल 13 अगस्त को ये आदेश जारी किया था। एयर इंडिया ने पिछले साल 40 से अधिक पायलटों को नौकरी से निकाल दिया था। इनमें कुछ पायलटों ने पहले तो त्यागपत्र दे दिया था, लेकिन बाद में त्यागपत्र वापस लेने की मांग की थी। इस मामले में नौकरी से निकालने के 13 अगस्त के आदेश को चुनौती देते हुए नौकरी से निकाले गए पायलटों दिल्ली हाई कोर्ट में एयर इंडिया के फैसले खिलाफ याचिका दी थी।
Delhi High Court quashes Air India's decision terminating services of several of pilots from August last year
— Press Trust of India (@PTI_News) June 1, 2021
याचिका में दलील दी गई थी कि पायलट्स ने निर्धारित समयसीमा छह महीने बीतने से पहले ही अपना त्यागपत्र वापस ले लिया था। इस संबंध में एयर इंडिया को आवेदन दिया गया था, लेकिन एयर इंडिया ने अभी तक इसका कोई जवाब नहीं दिया है। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि ऐसे में उनका त्यागपत्र वापस समझा जाए और उन्हें वापस नौकरी पर रखे जाने का निर्देश दिया जाए।
गौरतलब है कि एयर इंडिया की हालत पिछले काफी समय से खस्ता चल रही है। मनमोहन सरकार के समय में ही एयर लाइन का प्रबंधन बिगड़ चुका था। सरकार ने कोशिश की थी कि कंपनी को बेच दिया जाए लेकिन कोई इसे खरीदने को तैयार नहीं हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि कंपनी की हालत बहुत ज्यादा खराब है इसी वजह से पायलट्स को नौकरी से निकाला जा रहा है।
एविएशन मिनिस्टर हरदीप पुरी ने कहा था कि एयर इंडिया की पूरी हिस्सेदारी बेची जाएगी। उन्होंने कहा कि एयरलाइन को लेकर सरकार के पास सिर्फ दो विकल्प हैं। पहला इसे पूरी तरह प्राइवेट कर दिया जाए या बंद कर दिया जाए। पुरी ने कहा कि हमने यह फैसला किया है कि एयर इंडिया में सरकार अपनी पूरी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी। कंपनी इस पर 60,000 करोड़ रुपए का कर्ज जमा हो गया है। सरकार को कर्ज का बोझ खत्म करना है।