दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को भाजपा नेताओं कपिल मिश्रा, सांसद अनुराग ठाकुर और प्रवेश साहिब सिंह वर्मा व अन्य के भड़काऊ बयानों को लेकर केन्द्र सरकार से अपना जवाब कोर्ट में दाखिल करने को कहा है। इसके लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार को चार हफ्ते यानि कि करीब 1 महीने का वक्त दिया है। आरोप है कि भाजपा नेताओं के भड़काऊ बयानों के चलते ही दिल्ली में हिंसा भड़की।

दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस सी.हरिशंकर की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि “यह हमारा कर्तव्य है कि कानून व्यवस्था कायम रहे और स्थिति नियंत्रण रहे।” सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश हुए।

तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान कहा कि “शहर के मौजूदा हालात को देखते हुए हमने (केन्द्र और दिल्ली पुलिस) अभी तक इस पर फैसला नहीं लिया है। अभी हमने इस पर फैसला टाल दिया है और सही समय पर इस पर कोई फैसला लिया जाएगा।”

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तुषार मेहता ने कहा कि कार्रवाई होगी। हम दिल्ली में स्थिति को सामान्य करने के लिए सभी कोशिश कर रहे हैं। मेहता ने कोर्ट ने जवाब देने के लिए समय मांगा है।

सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मांदर और फराह नकवी की तरफ से वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्वेज कोर्ट में पेश हुए। जिन्होंने दिल्ली हिंसा के लिए भड़काऊ भाषणों पर नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और आरोपी नेताओं को जेल भेजने की मांग की।

मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने फिलहाल सरकार को 4 हफ्ते का वक्त दिया है। अब इस मामले पर आगामी 13 अप्रैल को सुनवाई होगी। गौरतलब है कि बुधवार को जस्टिस एस.मुरलीधर और जस्टिस तलवंत सिंह की बेंच ने भी मामले पर सुनवाई की थी।

सुनवाई के दौरान बेंच ने दिल्ली हिंसा को लेकर पुलिस को फटकार लगायी थी और दिल्ली पुलिस कमिश्नर को इस मामले में कार्रवाई करने और शुक्रवार को मामले की जानकारी देने को कहा था। हालांकि बुधवार देर रात उनके तबादले का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया। नोटिफिकेशन में कहा गया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और चीफ जस्टिस एसए बोबडे के साथ विचार विमर्श के बाद यह फैसला लिया गया।

दिल्ली के उपराज्यपाल ने दिल्ली हिंसा से जुड़े मामलों में दिल्ली पुलिस का पक्ष रखने के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता व अन्य तीन वकीलों को नियुक्त किया है। दरअसल दिल्ली सरकार के स्टैंडिंग काउंसल राहुल मेहरा ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के कोर्ट में दिल्ली पुलिस का पक्ष रखने पर आपत्ति जतायी थी, क्योंकि कानून के मुताबिक वह ऐसा कर सकते हैं। इसके बाद उपराज्यपाल ने एक आदेश जारी कर तुषार मेहता को कोर्ट में दिल्ली पुलिस का पक्ष रखने की जिम्मेदारी दी है।