दिल्ली हाईकोर्ट ने केवल अपने चचेरे भाई (Cousin) को सबक सिखाने और परेशान करने के लिए जनहित याचिका दायर करने पर एक महिला पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया। महिला ने कोर्ट में कथित रूप से अवैध निर्माण को हटाने के लिए एक जनहित याचिका दाखिल की थी। याचिका में उसने जिस निर्माण को गिरवाने का आदेश देने की मांग की थी, उसका मालिक उसका पारिवारिक सदस्य चचेरा भाई है, लेकिन महिला ने इस बात को कोर्ट में छिपा लिया। आरोपी महिला ने कोर्ट में स्वयं कहा कि इस निर्माण में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है। लेकिन उसने यह नहीं बताया कि जिसके खिलाफ उसने यह याचिका दाखिल की है, वह उसका अपना पारिवारिक सदस्य है।

हलफनामें में व्यक्तिगत रुचि नहीं होने की बात कही थी

तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने अपने 3 नवंबर के आदेश में कथित अवैध निर्माण को हटाने के लिए जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने एक हलफनामे में दावा किया कि इस मामले में उसकी कोई व्यक्तिगत रुचि नहीं है, लेकिन उसने इस तथ्य को छिपाया कि इमारत का मालिक उसका चचेरा भाई है और दोनों परिवारों के बीच विवाद है।

पीठ ने कहा- आरोपी महिला ने परेशान करने के इरादे से याचिका दाखिल की

पीठ ने कहा कि महिला ने ईमानदारी से अदालत का रुख नहीं किया था। उसको अपने चचेरे भाई के साथ अपने रिश्ते का खुलासा करने से किसी ने रोका नहीं था। वह सिर्फ अपने व्यक्तिगत खुन्नस के लिए उसको परेशान करने के इरादे से याचिका को जनहित याचिका बताकर दाखिल की थी।

कोर्ट ने आदेश दिया, “याचिकाकर्ता, जो व्यक्तिगत रूप से मौजूद थी, ने खुली अदालत में प्रतिवादी नंबर 5 के साथ संबंध स्वीकार किया है। इसलिए याचिकाकर्ता निश्चित रूप से एक इच्छुक व्यक्ति थी। याचिका 1,00,000 रुपये के जुर्माने के साथ खारिज की जानी चाहिए। आज से 30 दिनों के भीतर सेना युद्ध हताहत कल्याण कोष (Army Battle Casualties Welfare Fund) में भुगतान किया जाए।”

कोर्ट ने कहा कि हलफनामे में गलत बयान देने का आचरण ‘अदालत की अवमानना’​ है। उसके महिला होने की वजह से अदालत अवमानना के मामले को आगे नहीं बढ़ा रही है। उस पर जुर्माना ही लगाया गया है। हालांकि कोर्ट ने उसको भविष्य में ऐसा आचरण नहीं करने की चेतावनी दी है।