निर्भय कुमार पांडेय

हथिनीकुंड बैराज से लगातार यमुना नदी में पानी छोड़े जाने के बाद मयूर विहार फेस-1 के सामने यमुना खादर पूरी तरह से जलमग्न हो गया है। यमुना खादर में खेती करने वाले मजदूर इस कारण खासी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। मजदूर अपने परिवार के सदस्यों के साथ खादर से बाहर निकल कर मयूर विहार फेज-1 फ्लाईओवर के नीचे और सड़क के किनारे रहने को मजबूर हैं।

इनका आरोप है कि गुरुवार तक इनके पास किसी प्रकार की कोई सरकारी मदद नहीं पहुंची थी। मजदूर बिना खाना-पानी और बिजली के फ्लाईओवर के नीचे रहने को मजबूर हैं।

मजूदर प्रेम पाल ने बताया कि उन्होंने किसान से पट्टे पर जमीन ली थी और करीब 40 हजार रुपए की लागत लगाकर फसल की बुआई की थी। उन्होंने मक्का, भिंडी, मूली, मिर्च और बैंगन की खेती की थी, पर बाढ़ में सब कुछ बह गया। वहीं, वेद पाल ने बताया कि वह खादर में पिछले 20 साल से खेत में मजदूरी कर रहे हैं।

उन्होंने खेतों में भिंडी, तोरई, लोबिया, घीया और पालक लगाया था, पर बाढ़ में सब कुछ बर्बाद हो गया। उनका आरोप है कि इस साल सरकार की ओर से केवल तीन-चार दिनों पहले ही जानकारी दी गई थी कि यमुना का जलस्तर बढ़ सकता है, जबकि पहले करीब 15-20 दिन पहले सूचना दी जाती थी। उनका सब कुछ बह गया है। पिछले दो दिनों से सड़क किराने रहने को मजबूर हैं।

वहीं, यमुना खादर में खेती करने वाले रमाकांत ने बताया है कि वह करीब 30 सालों से खेतों में परिवार के साथ मजदूरी करते हैं। यमुना का जलस्तर हर साल बढ़ता है। पर इस साल आए बाढ़ ने सब कुछ बर्बाद कर दिया। उन्होंने बताया कि 50 हजार रुपए कर्ज पर लेकर खेतों में पालक, मूली और भिंडी की बुआई की थी, लेकिन बाढ़ में सब कुछ बह गया। रमाकांत ने मांग की है कि सरकार को सर्वे करवाकर आर्थिक मदद पहुंचानी चाहिए। राहत राशि के बंटवारे में बंदरबांट नहीं होनी चाहिए, जो हर साल होता है।