दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। आम आदमी पार्टी के सीलमपुर से विधायक अब्दुल रहमान ने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इसके अलावा उन्होंने आम आदमी पार्टी पर बड़ा आरोप लगाया है। अब्दुल रहमान के अनुसार आम आदमी पार्टी ने सत्ता की राजनीति में उलझाकर लगातार मुसलमानों के अधिकारों को नजरअंदाज किया है।
बता दें कि सीलमपुर से आम आदमी पार्टी के विधायक अब्दुल रहमान का टिकट आम आदमी पार्टी ने पहले ही काट दिया है। उनकी जगह पर चौधरी जुबैर अहमद को प्रत्याशी बनाया है।
एक महीने पहले ही जुबैर अहमद ने आम आदमी पार्टी की सदस्यता ली थी। इसके बाद से ही अब्दुल रहमान नाराज चल रहे थे। 29 अक्टूबर को अब्दुल रहमान ने आम आदमी पार्टी की अल्पसंख्यक इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इस दौरान उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि विचारों में बढ़ते फासलों को देखते हुए यह निर्णय दिया गया है।
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AAP पर साधा निशाना
अब्दुल रहमान ने अपने पत्र में लिखा, “पार्टी के नेतृत्व और नीतियों में जिस तरह से मुस्लिमों और अन्य वंचित समुदाय की उपेक्षा की गई है, उसके बाद इस्तीफा देना मेरा नैतिक कर्तव्य बन गया था। पार्टी की स्थापना के समय मैंने इसे अपनी ऐसी पार्टी माना था, जो धर्म, जाति और समुदाय से ऊपर उठकर जनता की सेवा करेगी। लेकिन आम आदमी पार्टी ने बार-बार यह साबित किया कि वह केवल वोट बैंक की राजनीति करती है। दिल्ली दंगों के दौरान भी आम आदमी पार्टी की सरकार का रवैया बेहद निराशाजनक रहा था। दंगों के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए और ना ही कोई सहानुभूति प्रकट की गई।”
अब्दुल रहमान ने कोरोना काल के दौरान चर्चा में आए मौलाना साद का भी जिक्र किया। उन्होंने अपने पत्र में कहा, “दिल्ली मरकज और मौलाना साद को कोरोना महामारी के दौरान निशाना बनाया गया। पार्टी ने इस मामले पर ना तो कोई रुख अपनाया, ना ही मुस्लिमों के खिलाफ किए गए भ्रामक प्रचार का खंडन किया। संभल दंगे जैसे संवेदनशील मुद्दे पर भी पार्टी ने एक ट्वीट तक करना जरूरी नहीं समझा।” पढ़ें दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने बनाया उम्मीदवार