21 सितंबर 2024 को आतिशी मारलेना ने दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। हर कोई हैरान था, इस सोच में था कि आखिर आतिशी कैसे दिल्ली सीएम की कुर्सी तक पहुंच गईं। किसी ने बोला कि केजरीवाल ने महिला कार्ड खेला है, किसी को लगा कि अपनी सीएम सीट सुरक्षित रखने के लिए करीबी को आगे किया गया। लेकिन इस सब से इत्तर आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं ने आतिशी का स्वागत और परिचय अलग ही अंदाज में करवाया।
दिल्ली के ‘मालिक’ का घमंड टूटा?
एक तरफ आतिशी दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं, दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल, सौरभ भारद्वाज, सोमनाथ भारती, गोपाल राय जैसे नेता थे जिन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी यह बताने में कि दिल्ली का असल ‘मालिक’ कौन है। सौरभ भारद्वाज ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि
एक तरफ आतिशी दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं, दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल, सौरभ भारद्वाज, सोमनाथ भारती, गोपाल राय जैसे नेता थे जिन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी यह बताने में कि दिल्ली का असल ‘मालिक’ कौन है। सौरभ भारद्वाज ने मीडिया से बात करते हुए कहा था-
सीएम कुर्सी पर कौन बैठेगा, यह मायने नहीं रखता। जनता ने तो केजरीवाल को चुना था। कुर्सी तो केजरीवाल की ही रहने वाली है। सिर्फ चुनाव तक उस कुर्सी पर भरत की तरह राम की खड़ाऊं रखकर एक दूसरे व्यक्ति को जिम्मेदारी दी जाएगी, उसे बैठाया जाएगा।
सौरभ भारद्वाज, आप नेता
अब सौरभ भारद्वाज ही वो नेता थे जिन्होंने आतिशी की ताजपोशी को खड़ाऊं से जोड़ दिया था, वो ही सबसे भरत का कॉन्सेप्ट लेकर आए थे। वे दिखाना चाहते थे कि दिल्ली का ‘राजा’ तो सिर्फ केजरीवाल है और बाकी सभी उनकी खड़ाऊं। अब इस चुनाव सौरभ भारद्वाज अपनी सुरक्षित सीट ग्रेटर कैलाश से हार गए हैं। उन्हें बीजेपी की शिखा रॉय ने 3188 वोटों से हराया है।
बात अगर सोमनाथ भारत की हो तो उन्होंने भी आतिशी को उस समय अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। अपने दोस्त सौरभ भारद्वाज के अंदाज में ही उन्होंने भी केजरीवाल को ही असली बॉस बताया था, उन्हें भी ऐसा नहीं लगा कि सीएम पद का सम्मान होना चाहिए। मीडिया से बात करते हुए सोमनाथ भारती ने कहा-
आतिशी भरत की तरह सरकार चलाएंगी, जिस तरह भगवान श्रीराम के वनवास जाने के बाद भरत ने अयोध्या में खड़ाउं सरकार चलाने का काम किया था।
सोमनाथ भारती, आप नेता
अपने इस बयान के जरिए भी आतिशी को बार-बार याद दिलाया गया कि उन्हें जो सीएम बनाया गया है, वो सिर्फ कुछ समय का एक दांव है। वे चाहे कितनी भी पढ़ी-लिखी क्यों ना हों, वे किती भी काबिल क्यों ना हो, लेकिन केजरीवाल के अलावा कोई दूसरा दिल्ली का मुख्यमंत्री नहीं बन सकता। अब इस बार के दिल्ली चुनाव में सोमनाथ भारती भी हार गए हैं। मालवीय नगर सीट से सोमनाथ भारती को बीजेपी के सतीश उपाध्याय ने काफी आसानी से हरा दिया है।
आतिशी को टेंपरेरी सीएम बताना केजरीवाल की गलती
अब सबसे बड़े बयान की बात करते हैं, आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी आतिशी को लेकर जो कहा, वो हैरान कर देने वाला था। चुनावी प्रचार के दौरान उन्होंने एक टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया था, काफी विश्वास में थे, तब तो बड़ी जीत के दम भर रहे थे। लेकिन बातचीत के दौरान उन्होंने कह दिया कि आतिशी एक टेंपरेरी सीएम हैं। चुनाव के बाद वे खुद दिल्ली के मुख्यमंत्री बनेंगे। अब जानकार भी मानते हैं कि अरविंद केजरीवाल को आतिशी को टेंपरेरी कहकर संबोधित नहीं करना चाहिए था।
समझने वाली बात यह है कि उस समय आतिशी दिल्ली की मुख्यमंत्री थीं, वो सिर्फ उनकी एक अच्छी दोस्त या भरोसेमंद नेता भर नहीं थीं, वे एक संविधानिक पद पर बैठी थीं, ऐसे में उस पद का सम्मान जरूरी था। लेकिन केजरीवाल की ही तरह आम आदमी पार्टी के कई नेताओं ने खुद आतिशी को वो सीएम वाली तवज्जो नहीं दी, सभी ने सिर्फ केजरीवाल को ही आगे किया, उसका नुकसान इस चुनाव में साफ देखने को मिला है।
बीजेपी की सुनामी में सिर्फ आतिशी चलीं
केजरीवाल की सीट का ही हाल देख लिया जाए तो बीजेपी के परवेश वर्मा ने उन्हें हरा दिया है। इसी सीट पर अरविंद केजरीवाल 4089 वोटों से हार गए। उनकी हार ही इस पूरे चुनाव की सबसे बड़ी हाईलाइट रही। अब समझने वाली बात यह है कि आतिशी को कम आंकने की गलती तो आप के कई नेताओं ने की, लेकिन बीजेपी की इस सुनामी में वे अकेली एक दिग्गज रहीं जिन्होंने ना सिर्फ अपनी सीट बचाई बल्कि कहा जा सकता है कि आम आदमी पार्टी की साख को भी बचाया।
काम पर वोट- केजरीवाल फेल, आतिशी पास
बड़ी बात यह भी रही कि आतिशी ने सीएम रहते हुए यह चुनाव लड़ा, यानी कि कहा जा सकता है कि जनता ने उनके छोटे कार्यकाल पर मुहर लगाने का काम किया। वही दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल तो मीडिया के सामने कई दफा कह चुके थे कि उन्हें उनके काम पर वोट दिया जाए, अगर काम ना किया हो तो बीजेपी को वो दिया जाए। अब जब केजरीवाल अपनी सीट पर हार चुके हैं, जनादेश स्पष्ट है- केजरीवाल फेल हुए, आतिशी पास हो गईं। वैसे बात जब पूरी आम आदमी पार्टी की होगी तो उनके भविष्य पर भी इस जनादेश के बाद सवाल उठने लगा है। उस भविष्य को समझने के लिए यहां क्लिक करें