दिल्ली-NCR में भूकंप के तेज झटके लगे हैं, काफी देर तक धरती हिलती रही। इस भूकंप का केंद्र नेपाल बताया जा रहा है और तीव्रता 6.4 बताई जा रही है। इससे पहले भी नेपाल में भूकंप के तेज झटके महसूस किए जा चुके हैं। एक बार फिर वहां पर धरती हिली है जिसका असर दिल्ली-एनसीआर तक दिखा है।

नेपास में रहा भूकंप का केंद्र

भूकंप का केंद्र नेपाल बताया जा रहा है और करीब 40 सेकेंड तक झटके महसूस किए गए। अभी तक जान माल के नुकसान की कोई खबर नहीं आ रही है, लेकिन लोगों में खौफ का माहौल है। सभी अपने घर से बाहर निकलकर भागे हैं।

घर से बाहर निकले लोग, दहशत का माहौल

कई वीडियो भी सामने आए हैं जिनमें पंखे से लेकर टीवी तक हिलते दिखाई दे रहे हैं। ये भूकंप देर रात आया है जिस वजह से लोग ज्यादा डर गए हैं। भूकंप की तीव्रता क्योंकि 6 से भी ज्यादा रही है, इसने भी सभी की चिंता बढ़ा दी है। यहां ये समझना जरूरी है कि भूकंप के लिहाज से दिल्ली संवेदनशील इलाकों में गिनी जाती है। यहां पर पहले से ही एक बड़े भूकंप की आशंका जाहिर की जा चुकी है। एक्सपर्ट द्वारा कहा गया है कि अगर राजधानी में तेज तीव्रता का भूकंप आएगा तो भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।

भूकंप के निरंतर लग रहे झटकों से यह सवाल लोगों को परेशान कर रहा है कि कहीं अफगानिस्तान से नेपाल और दिल्ली तक भूकम्प के ये झटके किसी बड़ी तबाही का संकेत तो नहीं हैं। इसी साल तुर्किए में भी 7.8 तीव्रता का बेहद शक्तिशाली और विनाशकारी भूकम्प आया था, जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई थी।

दिल्ली की ऊंची इमारतें, खतरे का संकेत?

कई विशेषज्ञ दिल्ली से बिहार के बीच 7.5 से 8.5 तीव्रता के बड़े भूकंप की आशंका जता चुके हैं। दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में तो भूकंप के झटके बार-बार लगते रहे हैं और इन्हें देखते हुए यह सवाल भी उठता रहा है कि क्या दिल्ली की ऊंची-ऊंची आलीशान इमारतें किसी बड़े भूकंप को झेलने की स्थिति में हैं।

हालांकि एनसीएस की ओर से कुछ महीने पहले कहा गया था कि विशेषकर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में आने वाले भूकंप के झटकों से घबराने की नहीं, बल्कि जोखिम कम करने के उपायों पर जोर देने की जरूरत है। मगर साथ ही यह भी कहा गया था कि ऐसी कोई तकनीक नहीं है, जिससे भूकंप आने के समय, स्थिति और तीव्रता की सटीक भविष्यवाणी की जा सके।

कब आता है भूकंप?

धरती की ऊपरी सतह सात टेक्टोनिक प्लेटों से मिल कर बनी है। जब भी ये प्लेटें एक दूसरे से टकराती हैं वहां भूकंप का खतरा पैदा हो जाता है। भूकंप तब आता है जब इन प्लेट्स एक दूसरे के क्षेत्र में घुसने की कोशिश करती हैं और एक दूसरे से रगड़ खाती हैं। फ्रिक्शन के कारण धरती डोलने लगती है। कई बार धरती फट भी जाती है। वहीं कई बार हफ्तों तो कई बार कई महीनों तक ये ऊर्जा रह-रहकर बाहर निकलती है और भूकंप आते रहते हैं। इन्हें आफ्टरशॉक भी कहते हैं।