पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार इलाके में 31 जुलाई को एक शख्स की पत्नी और तीन साल के बेटे की भारी बारिश के दौरान खुले नाले में फिसलकर मौत हो गई थी। अब दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने उसे  20 लाख रुपये का मुआवजा देने पर सहमति जता दी है। इस मामले में 22 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने अधिकारियों की जवाबदेही के साथ-साथ मृतक के परिजनों को उचित मुआवजा देने की बात कही थी।

डीडीए के वकील ने शुरू में कहा था कि प्राधिकरण पीड़ित परिवार को मुआवजे के तौर पर 15 लाख रुपये देने को तैयार है, लेकिन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने डीडीए को 20 लाख रुपये देने का निर्देश दिया था।

डीडीए ने क्या कहा था?

दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने दावा किया था कि मां-बेटे की मौत दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के अंतर्गत आने वाले नाले में हुई थी और शव केवल डीडीए के अधिकार क्षेत्र में ही बहकर आए थे। हालांकि, पुलिस जांच में पता चला कि खुला नाला डीडीए के अधिकार क्षेत्र में ही आता है। एमसीडी ने अदालत को यह भी बताया कि वह दुर्घटना स्थल पर नालों के पुनर्विकास का काम दिसंबर तक पूरा करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है, हालांकि निर्धारित समय सीमा अगले साल अप्रैल है। एमसीडी ने यह भी कहा कि इलाके में बैरिकेडिंग कर दी गई है।

लापरवाही से हुआ हादसा

अदालत मयूर विहार फेज-3 निवासी झुन्नू लाल श्रीवास्तव द्वारा दायर उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ठेकेदार और डीडीए अधिकारियों के खिलाफ उनकी कथित लापरवाही के लिए कार्रवाई की मांग की गई थी।

दिल्ली-एनसीआर में 31 जुलाई की शाम को भारी बारिश के कारण पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर इलाके में आधे खुले निर्माणाधीन नाले में तनुजा (22) और उसके बेटे प्रियांश की डूबने से मौत हो गई। पुलिस के वकील ने पहले अदालत को बताया था कि यह डीडीए का एक ठेकेदार था, जिसने वहां कुछ काम करने के बाद घटनास्थल पर नाले को खुला छोड़ दिया था। अधिकारियों द्वारा अपनाए गए रुख को देखते हुए अदालत ने पाया कि आगे किसी आदेश का अनुरोध नहीं किया गया था, इसलिए इसने मामले में कार्यवाही बंद कर दी।