दिल्ली की एक अदालत ने फैसला दिया है कि किसी को भी बिना इजाजत किसी महिला को छूने का हक नहीं है। ऐसा कहते हुए कोर्ट ने आर्मी हॉस्पिटल के एक कर्मचारी को दी गई छह माह कैद की सजा बरकरार रखी। यह कर्मचारी अपने चैंबर में एक मेडिकल स्टूडेंट से छेड़छाड़ का दोषी है।
एडिशनल सेशंस जज वीरेंद्र भट्ट ने कहा, ‘किसी को किसी महिला का शरीर बिना उसकी इजाजत के छूने का हक नहीं है। इस केस में दोषी ने पीडि़त का यौन शोषण करने की नीयत से उसे अपने चैंबर की ओर खींचा और आईपीसी की धारा 354 के तहत उसकी आबरू भंग करने का गुनाह किया।’
हॉस्पिटल में बतौर स्टेनोग्राफर काम करने वाले अशोक कुमार की अपील कोर्ट ने खारिज कर दी। कुमार को पिछले महीने मजिस्ट्रेट कोर्ट में छह महीने की जेल के साथ 5000 रुपए जुर्माना भरने की सजा मिली थी।
यह मामला 2 फरवरी, 2011 का था। धौला कुआं थाने में
मेडिकल की एक स्टूडेंट ने एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि हॉस्पिटल में सीटी सेंटर में जब वह काम कर रही थी तो कुमार ने उसका यौन शोषण किया। एफआईआर के मुताबिक लड़की कुमार के चैंबर में लीव रजिस्टर देखने गई थी। इसी बीच उन्होंने लड़की को अपनी ओर खींच लिया और यौन शोषण करने की कोशिश की। लड़की किसी तरह कमरे से बाहर भाग गई और अपने डॉक्टर पति को फोन कर घटना की जानकारी दी।
कुमार ने दलील दी कि ट्रायल कोर्ट ने गलत तरीके से उन्हें दोषी ठहराया। असल में लड़की ने पति के साथ मिल कर उन्हें फंसाया है। पर एडिशनल सेशंस जज ने यह दलील खारिज करते हुए कहा कि लड़की की शिकायत बेबुनियाद नहीं लगती।