दिल्ली की एक अदालत ने घरेलू हिंसा के एक मामले में यह कहते हुए एक व्यक्ति को अपनी अलग हो चुकी पत्नी को प्रति माह 4,000 रूपये गुजाराभत्ता देने का निर्देश दिया कि पति होने के नाते अपनी पत्नी को गुजाराभत्ता देना उसका कर्तव्य है।

मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रिचा परिहार ने कहा, ‘‘चूंकि याचिकाकर्ता :पत्नी: अपना गुजर बसर करने में सक्षम नहीं है, इसलिए प्रतिवादी का पति होने के नाते यह कर्तव्य है कि वह कानून के मुताबिक अपनी पत्नी को गुजाराभत्ता दे। इसलिए परिस्थितियों और तथ्यों को ध्यान में रखते हुए उसे हर महीने 4,000 रूपये गुजाराभत्ता देने का आदेश दिया जाता है।’’

इसके अलावा अदालत ने नुकसानों और मुकदमे में हुए खर्च के लिए व्यक्ति को अपनी पत्नी को 25,000 रूपये का भुगतान करने का भी आदेश दिया।

महिला की ओर से दर्ज मामले के अनुसार, महिला का पति, देवर और ससुर कम दहेज लाने के लिए उसे पीटा करते थे।
उसने आरोप लगाया कि उसके पति और ससुर वालों को शराब पीने, नींद की गोली लेने और सूई लेने की आदत थी और कई बार उन्होंने उसकी पिटाई भी की, जिसके कारण उसे अपना ससुराल छोड़कर माता पिता के साथ रहने के लिए मजबूर होना पड़ा।

महिला ने बेरोजगार होने और गुजर बसर के साधन के अभाव के आधार पर गुजाराभत्ते की मांग की थी।