DPS Dwarka Fees Hike: दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ाने को लेकर रेखा सरकार सख्त हो गई है। इसी कड़ी में 10 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया था। अब दिल्ली हाई कोर्ट में भी एक मामला पहुंचा है जहां पर डीपीएस द्वारका को फटकार पड़ी है। कोर्ट ने यहां तक कहा है कि स्कूलों को पैसे बनाने की मशीन बना दिया गया है। जस्टिस सचिन दत्ता ने इस मामले की सुनवाई की और वर्तमान हालात को काफी चिंताजनक बताया।
पूरा विवाद है क्या?
जानकारी के लिए बता दें कि डीपीएस द्वारका की फीस बढ़ोतरी की जांच के लिए एक 8 सदस्य कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने बताया है कि 2020 से लेकर 2025 तक लगातार इस स्कूल ने फीस में बढ़ोतरी की है। उस बढ़ोतरी की वजह से ही कई पेरेंट्स ने अब बढ़ी हुई फीस देने से मना किया है। यहां भी अब स्कूल पर आरोप है कि उन छात्रों के साथ बदसलूकी हुई है, मानसिक उत्पीड़न हुआ है जिनकी तरफ से बढ़ी हुई फीस नहीं दी गई।
कोर्ट ने लगाई स्कूल को फटकार
अब जस्टिस सचिन दत्ता ने दो टूक कहा है कि स्कूल को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी छात्र के साथ मानसिक उत्पीड़न ना हो। किसी के साथ कोई भी भेदभाव ना हो। अब ऐसी टिप्पणी कोर्ट को इसलिए करनी पड़ी क्योंकि जांच में सामने आया कि जिन छात्रों ने फीस नहीं दी थी, उन्हें अलग से लाइब्रेरी में बैठाया गया, दूसरे छात्रों से बात नहीं करने नहीं दिया गया, उनके कैंटीन जाने पर भी रोक लगा दी गई। अब कोर्ट ने दो टूक कहा है कि ऐसे व्यवहार को सहन नहीं किया जा सकता।
कोर्ट की सबसे बड़ी आपत्ति क्या?
सुनवाई के दौरान जस्टिस दत्ता ने स्कूल को फटकार लगाते हुए यहां तक कहा कि ऐसा कंडक्टर ही हैरान करने वाला है, मैं परेशान हूं कि आप छात्रों को किस तरह से रख रहे हैं। यह तो तय है कि आप ऐसा व्यवहार नहीं कर सकते हैं। आप उन्हें लाइब्रेरी में रखते हैं, हो क्या रहा है ये। ये लोग बच्चों को पैसों का जरिया बना रहे हैं। साफ दिखता है कि आप बच्चों के साथ सही व्यवहार नहीं कर रहे, कुछ सेफगार्ड तो तय करने पड़ेंगे जिससे आप छात्रों को ऐसे टॉर्चर ना कर पाएं। आप स्कूल को पैसे बनाने की मशीन की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। वैसे दिल्ली की रेखा सरकार ने भी कुछ दूसरे निजी स्कूलों पर शिकंजा कसा है। उस एक्शन को समझने के लिए इस खबर का रुख करें