प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक सेंट्रल विस्टा (लुटियन जोन्स) पुनर्निर्माण योजना की लागत करीब 20,000 करोड़ रुपए होगी। अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट द प्रिंट ने यह जानकारी दी है। सेंट्रल विस्टा पुनर्निर्माण योजना के तहत 900 से 1200 सांसदों के बैठने के लिए त्रिकोणीय संसद भवन अगस्त 2022 तक बनाने की योजना है, जब देश स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। इसके अलावा एकीकृत केंद्रीय सचिवालय का निर्माण कार्य 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य है।

पुनर्निर्माण योजना में प्रधानमंत्री और उप राष्ट्रपति के लिए नया आवास, सरकारी कार्यालयों के लिए दस नई इमारतों (जिसमें शास्त्री भवन, निर्माण भवन, उद्योग भवन, कृषि भवन और वायु भवन शामिल हैं) का पुनर्निर्माण शामिल है। मौजूदा समय में इन इमारतों में विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, कृषि, वाणिज्य, वायु सेना आदि के कार्यालय हैं।

मामले में जुड़े एक सूत्र ने द प्रिंट को बताया कि इन पुनर्निर्माण योजना में सरकारी कार्यालयों का निर्माण शामिल हैं। इसमें लगभग 20,000 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत केवल बजटीय आवंटन के जरिए पूरी करनी होगी। खास बात है कि पुनर्निर्माण योजना की घोषणा के एक साल बाद भी 2020-21 के बजट से इसके लिए फंड जारी नहीं किया गया।

सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्रालय इस बात पर विचार कर रहा है कि धन की आवश्यकता को कैसे पूरा किया जाए। यही मंत्रालय इस परिजोजना की देखरेख भी कर रहा है। सूत्र ने आगे बताया कि कुछ आवंटन अनुपूरक बजट में किया जा सकता है। उम्मीद है कि इस साल अगस्त से इस परियोजना पर काम शुरू हो जाएगा।

गौरतलब है इस परियोजना के शुरू होने से पहले कुछ नकारात्मक प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरू हो गई हैं। दरअसल कई विरासत और वास्तुशास्त्र विशेषज्ञों ने प्रस्तावित पुर्निर्माण योजना पर सवाल उठाए हैं। दिल्ली हाईकोर्ट में इस बाबत याचिकाएं भी दाखिल की गईं। बीतें शुक्रवार को इन्हीं याचिकाओं की सुनवाई के दौरान भारत सरकार ने याचिकाओं पर आपत्ति जताई।

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि परियोजना में पूरी तरह से पारर्दिशता बरती गई है और जिस वास्तुकार को चुना गया है उसने कई विशेषज्ञों और नगर योजनाकारों से परामर्श किया गया है। मंत्री ने कहा, ‘परियोजना में पूरी तरह से पारर्दिशता बरती गई है। विमल पटेल ने पहले कई संपादकों और नगर योजनाकारों के साथ बैठक की और उसके बाद भी कई अन्य लोगों और नगर योजनाकारों के साथ बैठक की। इसके बाद पत्रकारों के साथ बैठक की गई।’

उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने यह चिंता जताई कि धरोहर इमारतों को गिराया जाएगा। केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री ने कहा, ‘हमने दिखाया कि प्रमुख धरोहर इमारतें पूर्व की तरह अपने स्थान पर ही रहेंगी।’