दिल्ली में लाल किले के पास सोमवार (10 नवंबर) शाम एक कार में ब्लास्ट हुआ। हुंडई i20 कार में हुए विस्फोट में 13 लोगों की जान गई। वहीं सुरक्षा एजेंसियों ने आशंका जताई है कि विस्फोट दिल्ली-एनसीआर और जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में कई स्थानों पर सुरक्षा एजेंसियों द्वारा की गई छापेमारी के बाद आतंकियों में फैली घबराहट और हताशा के कारण किया गया हो सकता है। सुरक्षा से जुड़े सूत्रों ने समाचार एजेंसी पीटीआई को मंगलवार को बताया कि डॉ. उमर वह कार चला रहा था जिसमें सोमवार शाम लाल किले के पास विस्फोट हुआ था।

आतंकी मॉड्यूल का हिस्सा था उमर

उमर एक व्यापक आतंकी मॉड्यूल का हिस्सा था और हरियाणा के फरीदाबाद में अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में कार्यरत था। सूत्रों ने बताया कि सीसीटीवी कैमरे के फुटेज के आधार पर यह लगभग निश्चित तौर पर स्थापित किया जा सकता है कि जिस कार में विस्फोट हुआ, उसे डॉ. उमर चला रहा था। उन्होंने बताया कि 19 अक्टूबर से कश्मीर और फरीदाबाद में कई स्थानों पर सुरक्षा एजेंसियों द्वारा संचालित किए गए अभियानों के दौरान, यह पाया गया कि डॉ. उमर ने एजेंसियों के लगातार दबाव के कारण अपना स्थान बदल दिया था। सूत्रों ने बताया कि एजेंसियों की सफल कार्रवाई से घबराकर उमर भाग गया और इस बात का पता बाद में चलेगा कि क्या उसकी घबराहट, चिंता और विकल्पों की कमी के कारण विस्फोट हुआ या फिर यह पूर्व नियोजित था।

सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक छापेमारी की ये गतिविधियां उन संदिग्धों को पकड़ने के लिए की गई थी, जिनके आतंकी मॉड्यूल का हिस्सा होने की आशंका थी। वरिष्ठ सुरक्षा सूत्रों ने यह भी कहा कि बम समय से पहले ही फट गया था और पूरी तरह तरह से तैयार नहीं था जिसकी वजह से इसका प्रभाव सीमित रहा। सुरक्षा आकलन में कहा गया है कि विस्फोट से कोई गड्ढा नहीं बना और न ही मौके पर कोई छर्रे या धमाका करने वाले उपकरण मिले।

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‘संदिग्धों ने बढ़ते दबाव के चलते जल्दबाजी में कदम उठाया’

संदिग्ध मॉड्यूल पर सतर्कता और समन्वित कार्रवाई के कारण एक बड़ा हमला टल गया है। सूत्रों ने बताया कि विस्तृत जांच से स्पष्ट हो पाएगा कि यह पूर्व नियोजित था या आकस्मिक। उन्होंने बताया कि दिल्ली- एनसीआर और पुलवामा में कई स्थानों पर सुरक्षा एजेंसियों द्वारा की गई छापेमारी में भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद हुए, जिसके कारण माना जा रहा है कि संदिग्धों ने बढ़ते दबाव के चलते जल्दबाजी में कदम उठाया। सूत्रों ने बताया कि 9 और 10 नवंबर को सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ करने के बाद तीन चिकित्सकों सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया और 2,900 किलोग्राम बम बनाने की सामग्री जब्त की गई।

सूत्रों ने बताया कि संदिग्धों ने आत्मघाती कार बम विस्फोट के अबतक देखे गए तरीके का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने बताया कि संदिग्धों ने न तो कार को किसी लक्ष्य से भिड़ाया और न ही जानबूझकर टक्कर मारी। जांचकर्ताओं को संदेह है कि यह विस्फोट आत्मघाती हमला न होकर आकस्मिक हो सकता है। सूत्रों ने बताया कि ऐसा प्रतीत होता है कि आतंकी मॉड्यूल ने संवर्धित विस्फोटक उपकरण (IeD) सही तरीके से तैयार नहीं किया था, जिसके कारण चलती कार में विस्फोट हो गया।

अधिकारियों ने बताया कि सोमवार शाम लाल किला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर-1 के पास ट्रैफिक सिग्नल पर धीमी गति से चल रही कार में धमाका हुआ था। इस धमाके में 12 लोगों की मौत हो गई जबकि 20 अन्य घायल हो गए। धमाके की चपेट में आने कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।