दिल्ली की एक अदालत ने 1985 के ट्रांजिस्टर बम धमाकों में 59 आरोपियों में से 30 को यह कहते हुए बरी कर दिया कि “इन मामलों में की गई जांच दोषपूर्ण, एकतरफा, अनुचित हैं और इनमें विभिन्न खामियां हैं।” इतना ही नहीं अदालत ने जांच को लेकर पुलिस को फटकार भी लगाई है। 10 मई 1985 की शाम को दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में बम धमाके हुए। ये बम ट्रांजिस्टर में लगाए गए थे, जिसमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजधानी में कुल 49 लोग मारे गए और केवल दिल्ली में 127 लोग घायल हुए।

दिल्ली पुलिस के तत्कालीन डीसीपी की देखरेख में एक विशेष जांच दल ने 59 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट तैयार की थी। 59 में से पांच घोषित अपराधी थे, जो कोर्ट में कभी पेश नहीं हुए। जुलाई 2006 में ट्रायल कोर्ट ने “अपर्याप्त सबूतों” के कारण पांच को रिहा कर दिया था। शेष 49 अभियुक्तों में से, 19 की मौत मुकदमे के दौरान ही हो गई वहीं बचे हुए 30 आरोपी 1986 से ज़मानत पर हैं।

5 मार्च को अपने आदेश में, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने कहा, “यह स्पष्ट है। किसी भी परिस्थितियों में अभियुक्तों के खिलाफ अभियोजन पक्ष द्वारा लगाए गए आरोप अस्पष्ट हैं और विश्वसनीय सबूतों से मेल नहीं खाते। परिस्थितियों की श्रृंखला में महत्वपूर्ण लिंक गायब हैं और यह निर्णायक रूप से साबित नहीं किया जा सकता है कि अपराध किसी और के द्वारा नहीं बल्कि सिर्फ आरोपी व्यक्तियों द्वारा ही किया गया था।”

पुलिस को मनमानी के लिए फटकार लगते हुए और यह कहते हुए कि इस तरह की दोषपूर्ण जांच के आधार पर आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता, कोर्ट ने कहा “रिकॉर्ड पर डाले गए सबूतों से यह स्पष्ट है कि वर्तमान मामले की जांच के दौरान, पुलिस अधिकारियों ने विभिन्न व्यक्तियों को बिना किसी सबूत के उठा लिया और उनपर दबाव डालने और यातना देने के बाद उनसे जबरन मनमाफिक बयान दिलवाया गया। उन लोगों को चेतावनी दी गई थी कि अगर वे पुलिस की मांग के अनुसार नहीं गए, तो उन्हें वर्तमान मामले में आरोपी बनाया जाएगा।”