Delhi Assembly elections 2020: दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद दिल्ली पुलिस के नए आयुक्त की तैनाती को लेकर अटकलों का सिलसिला तेज हो गया है। जहां एक ओर वरिष्ठ नौकरशाहों का मानना है कि चुनाव की घोषणा से इसी महीने सेवानिवृत्त हो रहे पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक की विदाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वहीं दूसरी ओर ऐसा मानने वालों की कमी नहीं है कि चुनाव के मद्देनजर पटनायक को तीन महीने का सेवा विस्तार दिया जा सकता है। कई नामों की चर्चा के बीच केंद्र सरकार चाहे तो दिल्ली से बाहर के भी पुलिस अधिकारी को पुलिस आयुक्त के पद पर यहां ला सकती है। लखनऊ के तत्कालीन पुलिस प्रमुख अजय राज शर्मा को दिल्ली पुलिस का प्रमुख बनाना इसका उदाहरण हैं।
देश की राजधानी होने के नाते दिल्ली का पुलिस आयुक्त कौन होगा इस पर गृह मंत्रालय की अनुशंसा पर कैबिनेट की नियुक्ति समिति को फैसला करना है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित इस समिति के फैसले पर मुहर लगते ही नए आयुक्त के नाम पर हो रही चर्चा बंद हो जाएगी। दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा सोमवार को चुकी है लिहाजा दिल्ली के मौजूदा पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक का इसी महीने की 31 तारीख को सेवानिवृत्त होने पर संशय बन गया है। कयास यह लगाया जा रहा है कि मात्र दो से तीन महीने के लिए पटनायक को सेवा विस्तार दिया जा सकता है। ताकि दिल्ली का चुनाव संपन्न कराने में किसी भी प्रकार की अड़चनें नहीं आए।
उधर वरिष्ठ नौकरशाहों का मानना है कि सेवा विस्तार का कोई मतलब नहीं है। इस दौरान उनके कार्य क्षेत्र में चुनाव हो रहे हैं या अन्य दूसरे महत्त्वपूर्ण आयोजन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। सेवानियमों के हिसाब से नियुक्ति, प्रोन्नति और सेवानिवृत्ति तय होती है। जहां तक बात रही चुनाव की तो चुनाव में आयुक्त सीधे तौर पर शामिल नहीं होते हैं। वरिष्ठ नौकरशाहों का यह भी कहना है कि दिल्ली और चंडीगढ़ के चुनाव आयुक्त रहे राकेश मेहता के 2016 में रिटायरमेंट के समय चंडीगढ़ में चुनाव था। लेकिन उससे कोई फर्क नहीं पड़ा। मौजूदा आयुक्त के बाद जो वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी होंगे उनकी नियुक्ति गृह मंत्रालय की अनुशंसा पर कैबिनेट की नियुक्ति समिति तय करेगी।
कनिष्ठ अधिकारी को जिम्मेदारी
पुलिस आयुक्त के पद पर नियुक्ति के रूप में कैबिनेट की नियुक्ति समिति वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए कनिष्ठ अधिकारी को भी बैठा सकती है। किरण बेदी के समय में यही हुआ था और बेदी अपने से कनिष्ठ के साथ काम नहीं कर पाने की वकालत करते हुए दिल्ली पुलिस से समय से पहले अवकाश ले चुकी थीं। तब वाइएस डडवाल पुलिस आयुक्त नियुक्त हुए थे। इसलिए कहा जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय दिल्ली पुलिस आयुक्त के पद पर नियुक्त करने से पहले अधिकारियों के पूरे सेवाकाल को खंगालती है और फिर अंतिम फैसला लेती है।
