चीन और पाकिस्तान से तनाव के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट पेश किया तो उम्मीद थी कि इस बार रक्षा बजट में कुछ खास इजाफा होगा, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। पिछले वित्तीय वर्ष में रक्षा बजट जहां 4.71 लाख करोड़ रुपए था, वहीं इस बार इसमें मामूली बढ़ोतरी की गई है। इस बार यह 4.78 लाख करोड़ रुपए होगा।

हालांकि, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए रक्षा बजट को बढ़ाकर 4.78 लाख करोड़ रुपए करने के लिए pm नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को धन्यवाद दिया और इसे 15 वर्षों में रक्षा के लिए पूंजीगत परिव्यय में सबसे अधिक वृद्धि करार दिया। इससे पहले मोदी सरकार ने 2020 में रक्षा क्षेत्र के बजट में 6 फीसद का इजाफा किया था। 2019 की तुलना में 3.18 लाख करोड़ से बढ़ाकर 2020 में इसे 3.37 लाख करोड़ किया गया था।

इस बार माना जा रहा था कि सीमा पर चल रहे तनाव के बीच रक्षा क्षेत्र को तरजीह दी जाएगी। सीतारमण खुद रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी भी निभा चुकी हैं, इस क्षेत्र की जरूरतों का उन्हें आभास है। लेकिन विश्व के अन्य देशों से तुलना की जाए तो लगता नहीं है कि रक्षा क्षेत्र को कुछ खास मिला। हालांकि, रक्षा जानकार हर बार रक्षा बजट को जीडीपी के तीन फीसद तक करने की मांग करते रहे हैं।

चीन का रक्षा पर होने वाला सालाना खर्च करीब 261 अरब डॉलर यानी करीब 19 लाख करोड़ रुपए है। वहीं, भारत सिर्फ 71 अरब डॉलर यानी करीब 5 लाख करोड़ रुपए सेना पर खर्च करता है। अमेरिका उन देशों की लिस्ट में सबसे ऊपर है, जो रक्षा क्षेत्र में सबसे ज्यादा खर्च करता है। फिर चीन का नंबर आता है।

सिक्किम के नाथू ला में चीनी सेना के साथ भारत के टकराव और इससे पहले पिछले साल 15 जून को गलवान में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प के चलते लोग देश की रक्षा को लेकर फिक्रमंद दिख रहे हैं। उनका मानना है कि अपनी सेनाओं को और मजूबत करने की जरूरत है। गलवान और डोकलाम जैसी घटनाओं और एलओसी पर लगातार बढ़ती घुसपैठ से सीमा पर खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है।