Dausa (Rajasthan) ByPolls Election/Chunav Result 2024: राजस्थान की दौसा विधानसभा से कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा चुनाव हार गए हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी डीसी बैरवा ने 2300 वोटों से चुनाव में जीत हासिल कर ली है। उन्हें कुल 75334 वोट मिले, जबकि बीजेपी प्रत्याशी जगमोहन मीणा को 73034 वोट मिले। कांग्रेस के विधायक रहे मुरारी लाल मीणा ने लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद दौसा विधानसभा सीट खाली कर दी थी। अब हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने डीसी बैरवा को मौका दिया था वहीं बीजेपी की ओर से जगमोहन मीणा चुनाव लड़ रहे थे। राजस्थान में उपचुनाव 13 नवंबर को हुए थे।
यहां देखें अपडेट
| विधानसभा चुनाव-2024 | | |
| उम्मीदवार | पार्टी | वोट |
1 | जगमोहन मीणा | बीजेपी | 73034 |
2 | डीसी बैरवा | कांग्रेस (WON) | 75334 |
Jharkhand Election Commission Results 2024 LIVE | Maharashtra-Jharkhand Election Results 2024
दौसा विधानसभा-2023 के परिणाम क्या रहे थे?
दौसा विधानसभा पर हुए चुनाव में कांग्रेस के मुरारी लाल मीणा ने बीजेपी के शंकर लाल शर्मा को हराया था। मुरारी लाल मीणा को कुल 98238 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी के प्रत्याशी शंकर लाल को 67034 वोट मिल सके थे
बीजेपी ने जमकर किया था प्रचार
दौसा विधानसभा बीजेपी के लिए काफी महत्वपूर्ण सीट मानी जा रही थी। यहां सीएम भजनलाल शर्मा सहित बीजेपी राजस्थान के अध्यक्ष मदन राठोर ने भी प्रचार किया था। बीजेपी प्रत्याशी जगमोहन मीणा बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के भाई हैं,अब किरोड़ी लाल मीणा का उनकी हार पर बयान आया है। बीजेपी नेता ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा,जिस भाई ने परछाईं बनकर जीवन भर मेरा साथ दिया, मेरी हर पीड़ा का शमन किया, उऋण होने का मौका आया तो कुछ जयचंदों के कारण मैं उसके ऋण को चुका नहीं पाया।”
किरोड़ी लाल मीणा ने आगे लिखा,”45 साल हो गए। राजनीति के सफर के दौरान सभी वर्गों के लिए संघर्ष किया। जनहित में सैंकड़ों आंदोलन किए। साहस से लड़ा। बदले में पुलिस के हाथों अनगिनत चोटें खाईं। आज भी बदरा घिरते हैं तो समूचा बदन कराह उठता है। मीसा से लेकर जनता की खातिर दर्जनों बार जेल की सलाखों के पीछे रहा,संघर्ष की इसी मजबूत नींव और सशक्त धरातल के बूते दौसा का उपचुनाव लड़ा। जनता के आगे संघर्ष की दास्तां रखी। घर घर जाकर वोटों की भीख भी मांगी। फिर भी कुछ लोगों का दिल नहीं पसीजा। भितरघाती मेरे सीने में वाणों की वर्षा कर देते तो मैं दर्द को सीने में दबा सारी बातों को दफन कर देता लेकिन उन्होंने मेघनाथ बनकर मेरे लक्ष्मण जैसे भाई पर शक्ति का बाण चला डाला। साढ़े चार दशक के संघर्ष से न तो हताश हूं और न ही निराश। पराजय ने मुझे सबक अवश्य सिखाया है लेकिन विचलित नहीं हूं।”