दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में बुधवार तड़के जमीन धंसने की अलग-अलग घटनाओं में कम से कम 38 लोगों की मौत हो गई। कई लोग अब भी लापता हैं। इससे मरने वालों की तादाद बढ़ने का अंदेशा है। जिला प्रशासन ने इनमें से 28 लोगों के शव बरामद कर लिए हैं। इलाके में मंगलवार की रात से ही भारी बारिश हो रही थी। सड़क संपर्क टूट जाने की वजह से दार्जिलिंग व सिक्किम में सैकड़ों पर्यटक भी फंस गए हैं।
दार्जिलिंग, कालिम्पोंग व कर्सियांग सबडिवीजनों के तहत 25 स्थानों पर बड़े पैमाने पर हुए भूस्खलन से नेशनल हाइवे-10 और नेशनल हाइवे-55 को भी नुकसान पहुंचा है। इससे दार्जिलिंग और सिक्किम देश के बाकी हिस्सों से कट गए हैं। सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के जवान राहत व बचाव कार्यों में जुट गए हैं। इलाके में राहत व बचाव और सड़क संपर्क बहाल करने के लिए सेना से भी मदद मांगी गई है।
एसएसबी सूत्रों ने बताया कि हादसे में 20 लोग घायल हो गए हैं जबकि कालिम्पोंग सबडिवीजन के आठ माइल और ग्यारह माइल इलाके में कम से कम 15 लोग लापता हैं। सबसे ज्यादा 21 लोग मिरिक में मारे गए हैं। वहां कम से कम 13 लोग अब भी लापता हैं। बाकी मौतें कालिम्पोंग, लाभा, सुखियापोखरी व गोरुबथान इलाके में हुई हैं।
कालिम्पोंग इलाके में मंगलवार रात से बुधवार सुबह तक 200 मिमी बारिश हुई है। वहां सात लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है जबकि कई लोग लापता हैं। बारिश के कारण जमीन धंसने से नेशनल हाइवे-10 का एक बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण देश के बाकी हिस्सों से सिक्किम का संपर्क टूट गया है। मौसम खराब होने की वजह से प्रभावित इलाकों में राहत व बचाव कार्यों में भी भारी दिक्कत हो रही है।
राज्य के आपदा प्रबंधन मंत्री जावेद खान ने जमीन धंसने की घटनाओं में 38 लोगों के मरने की पुष्टि की है। उन्होंने पहले 22 लोगों के मरने की बात कही थी। उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव ने बताया कि राहत कार्यों में सेना की सहायता मांगी गई है। सरकारी अधिकारियों ने बताया कि जमीन धंसने का यह सिलसिला आधी रात के बाद शुरू हुआ। उस समय लोग अपने घरों में गहरी नींद में सो रहे थे। कर्सियांग सबडिवीजन के मिरिक ब्लाक के तहत टिंगलिंग चाय बागान में मिट्टी के मलबे के नीचे घर धंसने की वजह से कम से कम दस लोगों की मौत हो गई।
दार्जिलिंग के जिलाशासक अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि मिरिक, कालिम्पोंग और सुखियापोखरी से क्रमश: 21, पांच और एक शव बरामद किए गए हैं। मिरिक में कम से कम दस लोग लापता हैं। मिरिक में राहत व बचाव कार्यों में जुटे रोशन लामा नामक एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि कई लोग अब भी मलबे के नीचे दबे हैं। उनके जीवित बाहर निकलने की उम्मीद कम ही है। भारी बारिश के कारण जमीन धंसने की वजह से इलाके में सड़कों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। जिलाशासक ने
बताया कि कई जगह सड़कें टूट गई हैं या फिर उन पर काफी मलबा जमा हो गया है। सिलीगुड़ी को दार्जिलिंग से जोड़ने वाले नेशनल हाइवे 55 पर नींबूझोड़ा में एक पुल टूट गया है। जिला प्रशासन मौके पर मलबा हटाने वाले उपकरण भेज रहा है। उन्होंने बताया कि सड़क संपर्क बहाल करने के लिए सेना से भी सहायता मांगी गई है।