Dalits ‘airdrop’ dead for crematorium: तमिलनाडु के वन्नियाम्बदी शहर से एक चौंका देने वाली खबर तस्वीर सामने आई है। इस तस्वीर में कुछ लोग अंतिम संस्कार के लिए एक शव को नदी में पुल के ऊपर से एयरड्रॉप कर रहे हैं। वे लोग ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वे दलित हैं और उन्हें श्मशान घाट तक जाने वाले रास्ते में चलने की अनुमति नहीं हैं। नारायणपुरम के ग्रामीण दलितों को अंतिम संस्कार करने के लिए पलार नदी किनारे नहीं जाने दिया गया जिसके चलते उन्हें 20 फीट ऊंचे ओवरब्रिज से मृतक को नीचे फेंकना पड़ा। दलितों के साथ भेदभाव का ये सिलसिला पिछले चार साल से जारी है।

दाह संस्कार के लिए दलित के शव को रिवरबैंक में एयरड्रॉप करने का ये विडियो बुधवार को वायरल हो गया। नारायणपुरम दलित कॉलोनी के 55 वर्षीय कुप्पन की पिछले शुक्रवार को एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। पोस्टमॉर्टम पूरा हो गया और शव को उसके परिवार को पिछले शनिवार को सौंप दिया गया। पुल के निर्माण के बाद, अन्य जातियों के लोगों ने नदी तक जाने वाले मार्ग पर अतिक्रमण कर लिया है और दलितों को उनके खेत के माध्यम से मृतकों को ले जाने से वंचित कर दिया है। कुप्पन के 21 वर्षीय भतीजे विजय ने कहा “शनिवार को, जब हमने अपने चाचा के शव को शमशान के रास्ते नदी के पस्स ले जाने की कोशिश की तो वहां बैठे एक चौकीदार ने हमें वहां जाने से माना कर दिया। झड़प के डर से, ग्रामीणों ने पुल से रस्सी के सहारे कुप्पन का शव लटकाया और फिर उनका दाह संस्कार किया।

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दलित कॉलोनी निवासी 49 वर्षीय कृष्णन के अनुसार, गांव के श्मशान में जगह की कमी के कारण, ग्रामीण नदी किनारे मृतकों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। कृष्णन ने कहा “जैसा कि हमें प्रवेश से वंचित किया गया है, हम पुल से रस्सी के सहारे शव को नीचे गिरा देते हैं और फिर बाद हम अंतिम संस्कार करते हैं। पिछले चार वर्षों में, हमने इस तरह से चार शवों का अंतिम संस्कार किया है। उधर, दलित हालांकि यह मानते हैं कि उन्हें प्रत्यक्ष रूप से कभी गांवों में जाति के आधार पर भेदभाव नहीं पाया लेकिन वह प्रशासन को दाह संस्कार की उचित व्यवस्था न करने के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं।