तमिलनाडु के नागापट्टनम में दबंगों ने दलित की शवयात्रा को मुख्य रास्ते से जाने से रोक दिया। इसके चलते शव को कई दिनों तक बर्फ पर रखना पड़ा और बाद में कोर्ट के आदेश पर अंतिम संस्कार हुआ। भावनारहित चेहरे के साथ 30 वर्षीय एम कार्तिकेयन कहते हैं, उनके दादा को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई, बस 21 बंदूकों की सलामी नहीं थी। कार्तिकेयन के इस बयान के पीछे तमिलनाडु की जाति प्रथा की हैरान कर देने वाली सच्चाई छुपी है। कार्तिकेयन के अनुसार एआईडीएमके नेता की अगुवाई में वझावुर के प्रभावशाली वणियार(ओबीसी) लोगों ने उसके दादा- दादी की शवयात्रा को सार्वजनिक रास्ते से जाने से रोक दिया। उनका कहना था कि ऐसा होना अपशकुन है। कोर्ट के आदेश के बावजूद प्रशासन उसकी मदद नहीं कर पाया।
कार्तिकेयन ने बताया कि 3 जनवरी को उसके दादा चेल्लामुथु(100) का निधन हो गया था। इसके बाद जिला कलेक्टर एस पलानीसामी, डीआईजी सेंथिल कुमार, एसपी अभिनव कुमार, रेवेन्यू अधिकारी कृष्णाम्मल और लगभग 200 पुलिस कर्मियों ने सार्वजनिक रास्ते से शवयात्रा न ले जाने के लिए राजी करने की कोशिश की। लेकिन उसने मना कर दिया। गांववाले और प्रशासन चाहता था कि शवयात्रा दूसरे रास्ते से जाए। कार्तिकेयन ने मना कर दिया और शव को बर्फ पर रख दिया। इसके बाद पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया और दफना दिया। इस मामले में कलेक्टर पलानीसामी ने माना कि प्रशासन मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को लागू नहीं करा सका। क्योंकि प्रशासन की प्राथमिकता जातिगत लड़ाई को रोकना था।
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कार्तिकेयन कहता है कि, ‘मुझे अभी भी नहीं पता कि मेरे दादा को किस जगह दफनाया गया। हमने केरोसीन छिड़क लिया था और चेतावनी दी थी कि अगर पुलिस ने हाईकोर्ट का आदेश नहीं माना तो आत्महत्या कर लेंगे।’ कलेक्टर इसके लिए सरकारी वकील को जिम्मेदार ठहराते हैं और कहते हैं कि कोर्ट को वास्तविक स्थिति नहीं बताई गई। वे कहते हैं कि, ‘ यह सच है कि हम हाईकोर्ट का आदेश लागू करने में असफल रहे। लेकिन हम हमेशा लोगों के अधिकारों की रक्षा नहीं कर सकते। हमें उस शवयात्रा को रोकना पड़ा। कुछ दलित युवकों ने सार्वजनिक रास्ते के इस्तेमाल पर जोर दिया। यदि वे विरोध को देखते हुए मान जाते तो हम इसे रोक सकते थे। वणियार लोगों की मान्यताओं को देखते हुए उन्हें उपेक्षित नहीं किया जा सकता था।’
इस बारे में एआईडीएमके नेता और पंचायत अध्यक्ष नाथन कहते हैं कि, ‘मैंने मामले को सुलझाने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उन पर हमला बोल दिया। मैं सबके साथ खड़ा रहता हूं।’ इंडियन एक्सप्रेस को मिले वीडियो में दिख रहा है कि पुलिसकर्मी शव को लेकर जंगल की ओर भाग रहे हैं जबकि भीड़ पर लाठीचार्ज किया जा रहा है। कार्तिकेयन ने बताया कि, ‘हमें पीटा गया और 40 किलोमीटर दूर नागापट्टनम में ले जाया गया जबकि थाना 5 किलोमीटर ही दूर था।’ आज कार्तिकेयन पर 30 हजार रुपये का कर्ज है।