सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि पिता को कानूनी तौर पर यह अधिकार है कि वह पत्नी और बेटे की जगह शादीशुदा बेटी को अपनी संपत्ति दे दे। सर्वोच्च अदालत ने यह बात पश्चिम बंगाल के एक मामले की सुनवाई के दौरान कही, जहां वेस्ट बंगाल कॉआपरेटिव सोसायटी ने पिता की मृत्यु के बाद फ्लैट का मालिकाना हक शादीशुदा बेटी के नाम करने से इनकार कर दिया था।
जानकारी के मुताबिक, बिस्वा रंजन सेनगुप्ता आखिरी दिनों में अपनी शादीशुदा बेटी के पास थे। उनकी पत्नी और बेटे ने उनकी अच्छे से देखभाल नहीं की थी। लेकिन उनके निधन के बाद बेटे और पत्नी ने पूर्बांचल हाउसिंग स्टेट (साल्ट लेक, कोलकाता) स्थित फ्लैट उनके नाम करने को कहा। सोसायटी ने भी नियमों का हवाला देते हुए फ्लैट को शादीशुदा बेटी के नाम करने से इनकार कर दिया था। इसके खिलाफ बेटी इंद्राणी हाईकोर्ट चली गई। इस पर हाईकोर्ट ने इंद्राणी को सेनगुप्ता की पत्नी और बेटे के साथ शेयर होल्डर करार दिया। इस निर्णय के खिलाफ इंद्राणी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शादीशुदा बेटी फैमिली का हिस्सा हो सकती है और संपत्ति उसके नाम की भी जा सकती है।