Cyclone Fani News: बंगाल की खाड़ी में आए चक्रवाती तूफान ‘फानी’ ने शुक्रवार को ओडिशा के तटीय इलाकों में जमकर उत्पात मचाया। इस दौरान 175 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं और भारी बारिश हुई। एनडीआरएफ की कई टीमें इस दौरान मोर्चा संभाले रहीं। इस साल जहां इस तूफान को ‘फानी’ नाम दिया गया है, वहीं साल 2018 में गाजा, 2017 में तितली और 2014 में हुदूद नाम दिया गया था। क्या आप जानते हैं कि तूफानों के नाम कैसे पड़ते हैं और इसकी क्या प्रक्रिया है? बता दें कि उष्णकटिबंधीय चक्रवाती तूफानों को नाम देने की एक लिस्ट होती है, जिसके आधार पर हर साल तूफानों को नाम दिए जाते हैं।

बता दें कि प्रत्येक उष्णकटीबंधीय चक्रवाती तूफानों के नामों की एक लिस्ट होती है। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उठने वाले तूफानों के नाम 8 देशों का एक समूह तय करता है। इस समूह को WMO/ESCAP कहा जाता है और साल 2004 से इस समूह की शुरुआत हुई थी। इस समूह में शामिल प्रत्येक देश चक्रवाती तूफानों की 8 नामों की एक लिस्ट देता है। जिसकी मदद से 8X8 की एक लिस्ट तैयार की जाती है। पहली पंक्ति में पहले नाम से तूफानों का नाम दिया जाता है और फिर बारी-बारी से यह सिलसिला आगे बढ़ता रहता है।

उदाहरण के लिए यदि बांग्लादेश ने चक्रवाती तूफान का नाम ओनिल दिया है तो उसके नीचे बाकी 7 देशों द्वारा दिए गए तूफानों के नाम होंगे जिन्हें बारी-बारी से आने वाले तूफानों को दिया जाता है। जैसे ही एक पंक्ति के नाम खत्म होते हैं तो फिर बांग्लादेश द्वारा ही दिए गए नाम से दूसरी पंक्ति शुरु हो जाती है। इस तरह यह लिस्ट 64 नामों तक चलती है। लिस्ट के खत्म होने से पहले सदस्य देशों से दूसरी लिस्ट मंगा ली जाती है।

गौरतलब है कि अगले चक्रवाती तूफान का नाम वायु होगा और इस पंक्ति का समापन साइक्लोन एमफन के साथ होगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के RSMC सेंटर फॉर ट्रॉपिकल साइक्लोन (चक्रवाती तूफान) द्वारा उपरोक्त जानकारी दी गई है। विभाग का कहना है कि तूफानों को नाम देने से एक तो लोगों में तूफान के प्रति जागरुकता लाना आसान हो जाता है, दूसरा मीडिया में भी इसे लेकर चेतावना आदि की जानकारी देना आसान हो जाता है। हालांकि नाम देने के लिए यह शर्त है कि नाम छोटा और आसान होना चाहिए।

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