Cyberattacks India: अगर साइबर हमलों पर लगाम नहीं लगाई गई तो भारत में 2033 तक हर साल करीब 1 ट्रिलियन साइबर हमले हो सकते हैं। 2047 में 100 साल पूरे होने तक देश में 17 ट्रिलियन साइबर हमले हो सकते हैं। रिपोर्ट में इस बात को लेकर दावा किया गया है।

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने मंगलवार को साइबर हमलों के मामलों में वृद्धि पर चिंता व्यक्त की और इस समस्या से निपटने के लिए मजबूत उपायों की आवश्यकता पर बल दिया। एक संगठन ने इसको लेकर रिपोर्ट जारी की है। जिसमें कहा गया है कि एक मजबूत और बड़े पैमाने पर साइबर सुरक्षा तंत्र की तत्काल जरूरत का संकेत दिया गया।

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में तेजी से विस्तार इसे जोखिमों के लिए खुला छोड़ देता है। गुप्त साइबर संस्थाओं द्वारा एम्स और एयरलाइंस पर साइबर हमले इसके उदाहरण हैं।

2023 में देश ने 79 मिलियन से अधिक साइबर हमलों का सामना किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 15% अधिक है। इस तरह की घटनाओं की संख्या के मामले में यह वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर है। 2024 तक वृद्धि जारी रहेगी। पहली तिमाही में साइबर हमलों में तेज वृद्धि हुई है, जिसमें केवल तीन महीनों में 500 मिलियन से अधिक घटनाएं हुई हैं। एक हालिया रिपोर्ट में 2023 की इसी अवधि की तुलना में दूसरी तिमाही में साइबर हमलों में 46% की वृद्धि पर प्रकाश डाला गया है।

साइबर हमलों की बढ़ोतरी ने मजबूत साइबर सुरक्षा उपायों की बढ़ती जरूरत पर जोर दिया है। विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जो साइबर अपराधियों द्वारा तेजी से टारगेट किए जा रहे हैं। वैश्विक स्तर पर 2024 की पहली तिमाही में साइबर हमलों में 76% की वृद्धि हुई, जिसमें भारत सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक है। 2024 के पहले चार महीनों में भारतीयों ने साइबर अपराधियों के कारण 1,750 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान उठाया, जिसकी रिपोर्ट राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा पर 7.4 लाख शिकायतों के माध्यम से की गई।

साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल प्रहार की रिपोर्ट, ‘द इनविजिबल हैंड’ (Cybercrime Reporting Portal Prahar Report, ‘The Invisible Hand) ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की हैकिंग और अपने नागरिकों के साथ परिष्कृत छेड़छाड़ इन नए प्रकार की कमजोरियों और हमलों के मुख्य घटक थे। इसने एक सुनियोजित, पांच वर्षीय राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति की आवश्यकता को रेखांकित किया और सुझाव दिया कि सभी आईटी-संबंधित बुनियादी ढांचे को केंद्रित प्रयासों के लिए एक संगठन या मंत्रालय के तहत समेकित किया जाना चाहिए।

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रिपोर्ट में सट्टेबाजी और गेमिंग ऐप द्वारा छिपे हुए सुनियोजित रणनीतियों के साथ उत्पन्न खतरों का भी पता लगाया गया है। प्रहार के अध्यक्ष अभय मिश्रा ने बताया कि साइबर हमले दो प्रकार के होते हैं। पहले में पारंपरिक हैकर शामिल होते हैं जो वित्तीय लाभ या व्यवधान के लिए सिस्टम में कमजोरियों का फायदा उठाते हैं। दूसरा, अधिक कपटी रूप नागरिकों को निशाना बनाता है, उन्हें हेरफेर, जबरदस्ती या धमकियों के माध्यम से राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए भर्ती करता है।

उन्होंने बताया कि इस तरह की रणनीति का इस्तेमाल अवैध सट्टेबाजी ऐप पर किए जाने की सबसे अधिक संभावना है। यह रणनीति बांग्लादेश में अपनाए गए तरीकों से भी मिलती-जुलती है, जहां विरोधी आम नागरिकों को अस्थिरता के साधन में बदलने में कामयाब रहे, जिससे सरकारी संस्थानों को अंदर से कमजोर किया गया।

दिल्ली पुलिस के पूर्व विशेष आयुक्त एवं सेवानिवृत्त आईपीएस मुक्तेश चंदर ने कहा कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, जहां न केवल व्यक्तिगत हैकर्स या असंतुष्ट लोग, बल्कि राज्य प्रायोजित अभिनेता और स्वयं राज्य भी ऐसी गतिविधियों में संलग्न हैं, जो अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण मापदंडों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।