अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के उद्देश्य से सरकार ने बीते दिनों कॉरपोरेट टैक्स में कटौती का ऐलान किया था। उम्मीद की जा रही थी कि इससे देश में छाया मंदी का माहौल खत्म होगा और निवेश को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन अब एक ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंक ने कहा है कि इन सुधारों से मौजूदा आर्थिक मंदी से निपटने में कामयाबी नहीं मिलेगी। इस निवेश बैंक ने सलाह दी है कि सरकार को अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए आयकर दरों (Income Tax rate) और जीएसटी (Goods and Service Tax) की दरों में कटौती करनी चाहिए।
बता दें कि मैक्वेरी कमोडिटीज एंड ग्लोबल मार्केट्स की एशियन स्ट्रैटेजी के हेड विक्टर श्वेत्स ने CNBC TV18 के साथ बातचीत में उक्त बातें कहीं। विक्टर श्वेत्स ने कहा कि इस बात के काफी सबूत हैं कि कॉरपोरेट टैक्स की दरों में कटौती करने से बहुत ज्यादा मदद नहीं मिलेगी। हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था में आय की गिरावट के एक और चक्र को रोकने में जरुर मदद मिलेगी, जोकि पिछले 8-9 साल से जारी है।
उन्होंने यह भी कहा कि टैक्स की दरों में कटौती से प्राइस एंड अर्निंग मल्टीपल्स को भी स्थिर करने में मदद मिलेगी। वहीं मोर्गन एंड स्टैनली इंडिया के एमडी रिद्धम देसाई का कहना है कि सरकार द्वारा कॉरपोरेट टैक्स में कटौती करना स्थायी राहत की बात है और इससे अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रवाह भी नियोजित होगा।
बता दें कि बीते शुक्रवार को केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती करने का ऐलान किया था। कटौती के तहत कॉरपोरेट टैक्स की दरें 30% से घटाकर 22% कर दी गई, वहीं नई मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों के कॉरपोरेट टैक्स की दर 25% से घटाकर 15% कर दी गई है।
उल्लेखनीय है कि अर्थव्यवस्था की दर बीते 6 सालों के सबसे न्यूनतम स्तर पर लुढ़ककर 5 प्रतिशत हो गई है। सरकार द्वारा बीते दिनों में अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए कई उपाय किए गए हैं। कॉरपोरेट टैक्स में कटौती और अन्य उपायों से सरकार को सालाना 1.45 लाख करोड़ का बोझ पड़ रहा है।