केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि कोरोना विषाणु संक्रमण का टीका विषाणु के नए स्वरूप के खिलाफ भी काम करेगा ऐसे कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं कि मौजूदा टीका ब्रिटेन या दक्षिण अफ्रीका से आए सार्स-सीओवी-2 के नए स्वरूप से सुरक्षा में नाकाम रहेगा। प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अब तक यह नहीं पाया गया है कि नया स्वरूप बीमारी की गंभीरता को बढ़ा देता है।

राघवन ने कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि देश और विदेश में विकसित हो रहे वर्तमान टीके ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में सामने आए कोरोना विषाणु के नए स्वरूप के खिलाफ नाकाम रहेंगे। अधिकांश टीके संक्रमित स्पाइक प्रोटीन को लक्षित करते हैं, जिसमें परिवर्तन होते हैं लेकिन टीका हमारे प्रतिरोधी तंत्र को व्यापक सुरक्षात्मक एंटीबॉडी तैयार करने के लिए उत्प्रेरित करता है।

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने कहा कि कोरोना संक्रमण के नए मामलों और इससे जान गंवाने वालों की संख्या में लगातार कमी आ रही है, जो दुनियाभर की स्थिति को देखते हुए आश्वस्त करती है। उन्होंने कहा कि हम कोरोना के नए मामलों, उपचाराधीन मरीजों और मौतों को लेकर लगातार गिरावट देख रहे हैं, जो काफी आश्वस्त करने वाला है।

यह इस वक्त खास तौर पर महत्त्वपूर्ण है, जब कुछ राष्ट्र लगातार विनाशकारी स्थिति का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सर्दी के मौसम में अधिसंख्य आबादी के लिए यह बीमारी अब भी चुनौती है। विषाणु का ब्रिटिश स्वरूप भारत समेत कई देशों में पहुंच चुका है, इस स्वरूप का अपना दौर हो सकता है और हमें बेहद सावधान रहना होगा।

संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया कि ब्रिटेन में हाल ही में सामने आए कोरोना विषाणु के नए स्वरूप का पता लगाने के लिए केंद्र सरकार ने दस क्षेत्रीय प्रयोगशालाएं निर्धारित की हैं। जहां राज्य उनके यहां दर्ज संक्रमण के पांच फीसद नमूनों को जीनोम अनुक्रमण के लिए भेजेंगे। मंत्रालय ने भारत में सार्स-सीओवी-2 के प्रकारों (स्ट्रेन्स) की प्रयोगशाला और महामारी विज्ञान निगरानी के लिए एक जीनोमिक निगरानी संघ बनाया है।

राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के नेतृत्व में जीनोमिक निगरानी संघ, आइएनएसएसीओजी बनाया गया है। मंत्रालय की ओर से जारी जीनोम अनुक्रमण मार्गदर्शन दस्तावेज में कहा गया है कि जीनोम अनुक्रमण के लिए तय की गईं दस क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं में आसपास के राज्यों के संक्रमण की पुष्टि के नमूने भेजे जाएंगे। सभी राज्य अपनी निकटवर्ती प्रयोगशाला में संक्रमण के पांच फीसद नमूने भेजेंगे। इनका उपयोग जीनोम अनुक्रमण के लिए किया जाएगा। इसके बाद तैयार किए गए जीनोम अनुक्रमण डाटा का संबंधित प्रयोगशालाओं द्वारा आकलन किया जाएगा और फिर इन्हें एनसीडीसी को भेजा जाएगा।