छत्‍तीसगढ़ के नक्‍सल प्रभावित इलाके दंतेवाड़ा में बुधवार को हुए आईईडी ब्‍लास्‍ट में सात जवानों की मौत हो गई थी। इन सात में से चार जवान लू के शिकार हुए सीआरपीएफ के स्‍न‍िफर डॉग के लिए कूलर लेकर जा रहे थे। बाकी तीन को उस ट्रक में नहीं होना चाहिए था, जिस पर हमला हुआ। सीआरपीएफ के डीजी के दुर्गाप्रसाद के मुताबिक, 230 बटालियन के चार जवान बिना हथियारों के दंतेवाड़ा के नरेली स्‍थ‍ित हेडक्‍वार्टर से दोपहर दो बजे रवाना हुए। आम नागरिकों की वेषभूषा में यह जवान वहां से चालीस किमी दूर भूसारस घाटी स्‍थ‍ित दूसरे कैंपस जा रहा रहे थे। इस कैंप पर स्‍कॉउट नाम का बीमार स्‍न‍िफर डॉग था। उन्‍हें इसी रास्‍ते में 18 किमी दूर रेंगनर स्‍थ‍ित सीआरपीएफ कैंप से एयर कूलर उठाना था।

नरेली के करीब एक बस स्‍टैंड में छह सीआरपीएफ जवान उस ट्रक पर सवार हो गए। इनमें से कुछ ट्रेनिंग से, जबकि कुछ छुट्टी से लौट रहे थे। सूत्रों के मुताबिक, इन्‍हें बस में सवार होना था। माअोवादी उन गाडि़यों को कम ही नुकसान पहुंचाते हैं, जिनमें गांववाले हों। इनमें से तीन जवान रेंगनर पर उतर गए, जबकि बाकी कूलर लेकर भूसारस घाटी वाले कैंप के लिए रवाना हो गए। दंतेवाड़ा से सुकमा जाने वाली रोड पर कुछ किमी आगे जाने के बाद उनकी गाड़ी ने जैसे ही मेलावाड़ा गांव क्रॉस किया, वहीं उनको निशाना बनाया गया। गाड़ी में सवार चार लोगों की धमाके में मौत हो गई, जबकि बाकी तीन को कथित तौर पर गोलियां मारी गई। प्रसाद ने कहा, ”सभी तीन के सिर और छाती पर गोलियों के निशान थे। ऐसा लगता है कि धमाके के बाद उनकी मौत सुनिश्‍चित करने के लिए माओवादियों ने उन्‍हें गोलियां मारीं।”