लोक से लेकर शास्त्र तक ऐसे प्रेमी जोड़ों के किस्से मिल जाएंगे, जिन्हें बहुत सारे युवा अपना आदर्श मानते हुए प्यार पर कुर्बान हो जाने का दम भरते दिख जाते हैं। सीरीं-फरहाद, लैल-मजनूं, शशि-पन्नू आदि की ढेरों प्रेम कहानियां अलग-अलग इलाकों में फैली हुई हैं।

मगर बहुत सारे लोगों की शिकायत रही है कि संस्कृत काव्य में वैसे प्रेम प्रसंग नहीं मिलते, जैसे मध्यकाल के बाद मिलते हैं। इस शिकायत पर कुछ लोग एक उदाहरण विल्हण का देते हैं। विल्हण कश्मीर के राजा के दरबार में कवि थे। वे प्रख्यात कवि कल्हण के भाई थे, जिन्होंने हर्षचरित जैसा काव्य लिखा था। बताते हैं कि संत वेलेंटाइन से बहुत पहले विल्हण ने भारत में प्रेम के लिए विद्रोह का बिगुल फूंका था।

दरअसल, राजा की पुत्री से विल्हण को प्रेम हो गया था। यह बात राजा को पता चली, तो उसने विल्हण को फांसी पर चढ़ाने का हुक्म दे दिया। जिस दिन विल्हण को फांसी पर चढ़ाने ले जाया जा रहा था, उस दिन विल्हण पूरे रास्ते संस्कृत में अपनी प्रेम कविताएं गाते हुए गए थे। हालांकि वे कविताएं अब उपलब्ध नहीं, पर विल्हण को इस अर्थ में पहला प्रेमी माना जाता है, जिसने अपने प्रेम के लिए फांसी का फंदा चूमा था।