कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के दौरान इंदौर के एक अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से मशहूर शायर राहत इंदौरी का इंतकाल हो गया। 70 साल के इंदौरी को उनके चंद परिजनों और करीबी लोगों ने शहर के छोटी खजरानी स्थित कब्रिस्तान में दफनाते हुए अंतिम विदाई दी। यह बहुत कम लोगों को पता है कि एक बेहतरीन शायर होने के साथ-साथ राहत खाना भी बहुत अच्छा पकाते थे। उन्हें गोश्त पकाने का शौंक था।
राहत इंदौरी की पत्नी सीमा राहत ने बताया कि राहत उनके रिश्ते में ही थे, इसलिए वे उन्हें शादी से पहले भी जानती थी। एक दिन उनके पास राहत का रिश्ता आया जिसके बाद उनकी शादी हो गई। सीमा बताती हैं कि राहत बेहद सुलझे हुए इंसान थे और उन्होंने उन पर कभी नाराज़गी नहीं दिखाई। सीमा ने बताया कि बहुत कम लोग जानते हैं कि राहत खाना बहुत अच्छा पकाते थे। उन्हें गोश्त पकाने का शौक था, अक्सर वे किचन में दिखाई देते थे। सीमा ने कहा कि कभी उनकी राहत के साथ खाने को लेकर भी बहस नहीं हुई। उन्होंने कहा “राहत के साथ ज़िंदगी का सफर यादगार रहा। एक शायर की बीवी होना फख्र की बात है।”
राहत को याद करते हुए कवि कुमार विश्वास ने भी एक किस्सा शेयर किया। उनके साथ मंच साझा करने वाले कुमार विश्वास ने बताया कि बहरीन की एक महफिल में हिंदुस्तान और पाकिस्तान के श्रोता साथ में थे। तभी राहत ने एक शेर पढ़ा। उन्होंने कहा “मैं जब मर जाऊं तो मेरी अलग पहचान लिख देना, लहू से मेरी पेशानी पे हिंदुस्तान लिख देना।”
इसपर एक शायर ने कहा कि कम से कम गजल को तो मुल्क के रिश्तों से बाहर रखिए। इसके समर्थन और विरोध में शोर होने लगा इसी बेच राहत ने अपने मशहूर अंदाज़ में माइक थामकर बोला “हिंदुस्तान के एक अलग हुए टुकड़े के बिछड़े हुए भाई, जरा ये शेर भी सुनो- ए जमीं, इक रोज तेरी खाक में खो जाएंगे, सो जाएंगे। मर के भी, रिश्ता नहीं टूटेगा हिंदुस्तान से, ईमान से।”
उनकी मौत पर कुमार विश्वास ने ट्वीट कर लिखा “हे ईश्वर ! बेहद दुखद ! इतनी बेबाक़ ज़िंदगी और ऐसा तरंगित शब्द-सागर इतनी खामोशी से विदा होगा,कभी नहीं सोचा था ! शायरी के मेरे सफ़र और काव्य-जीवन के ठहाकेदार क़िस्सों का एक बेहद ज़िंदादिल हमसफ़र हाथ छुड़ा कर चला गया।”