उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों से फंसे प्रवासी कामगारों की परेशानियों का मंगलवार को स्वत: ही संज्ञान लिया। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कामगारों की परेशानियों का संज्ञान लेते हुये केन्द्र, राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों से 28 मई तक जवाब मांगा है।
इन सभी को न्यायालय को बताना है कि इस स्थिति पर काबू पाने के लिये उन्होंने अभी तक क्या कदम उठाये हैं। शीर्ष अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा है कि वह इस मामले में न्यायालय की मदद करें। न्यायालय कामगारों से संबंधित इस मामले में 28 मई को आगे विचार करेगा।
वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र में नागपुर के जिलाधिकारी ने मंगलवार को बंबई उच्च न्यायालय को बताया कि कोविड-19 की चलते लागू लॉकडाउन में फंसे करीब 50 हजार प्रवासी कामगारों को इस महीने के शुरुआत से यहां से अबतक उनके गृह प्रदेशों में भेजा गया है। नागपुर के जिलाधिकारी और पुलिस आयुक्त ने यह जानकारी लॉकडाउन की वजह से मुश्किल का सामना कर रहे प्रवासी कामगारों के मद्देनजर अदालत द्वारा लिए गए स्वत: संज्ञान लेकर एक याचिका पर की जा रही सुनवाई के जवाब में दी।
जिलाधिकारी ने अपने शपथपत्र में कहा कि अपने गृह प्रदेश पैदल ही जा रहे लोगों को पुलिस ने रोका और उनके लिए महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) की बसों की व्यवस्था की। उन्होंने बताया, “11 मई से 21 मई के बीच 11 श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों के जरिये 9,997 लोगों को नागपुर से भेजा गया। वहीं सात मई से 24 मई के बीच 1,949 एमएसआरटीसी की बसों से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल और बिहार जाने वाले 44,304 लोगों को राज्य की सीमा तक पहुंचाया गया।”
वहीं रेल मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि कल तक कुल 3265 ट्रेनें चलाई गई हैं। 23 मई तक चली लगभग सभी ट्रेनें अपने गंतव्य तक पहुँच चुकी हैं, उत्तर पूर्व में दूर तक जाने वाली 1-2 ट्रेनें अभी भी चल रही हैं। 24 मई को 238 ट्रेनें चली हैं,आज शाम तक लगभग सभी गंतव्य पर पहुंच जाएंगी।

