कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच भारत में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल का इस्तेमाल शुरू हो गया है। सरकार ने इस दवा को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। मोनोक्लोनल एंटीबॉडी हानिकारक रोगजनक वायरस से लड़ने की प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता की नकल करते हैं। ऐसा एंटीबॉडी कॉकटेल पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को दिया गया था जब वे कोरोना से संक्रमित हुए थे।

इस दवा को एक मिश्रण या यौगिक कहा जा सकता है। एंटीबॉडी कॉकटेल दो दवाओं का मिश्रण है। यानी दो ऐसी एंटीबॉडी का मिश्रण, जो किसी वायरस पर एक जैसा असर करती हैं। इसमें दो तरह की एंटीबॉडी ‘कासिरिविमैब’ और ‘इमडेविमैब’ का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि वैरिएंट और म्यूटेशन के बाद भी यह काम करे। इसमें वायरस पर दो तरफ से हमला किया जाता है। यह वायरस को मानवीय कोशिकाओं में जाने से रोकती है, जिससे वायरस को न्यूट्रिशन नहीं मिलता।

एंटीबॉडी-ड्रग कॉकटेल Casirivimab और Imdevimab को स्विस कंपनी Roche ने Regeneron के साथ मिलकर तैयार किया है और भारतीय कंपनी सिप्ला इसकी मार्केटिंग सहयोगी है। इस एंटीबॉडी कॉकटेल को वयस्कों और 12 वर्ष या उससे अधिक आयु के बच्चों और किशोरों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। बशर्ते उनका वजन कम से कम 40 किलोग्राम हो।

कॉकलेट ड्रग्स बॉडी में जाते ही काम करना शुरू कर देती है। यह संक्रमित मरीज की बीमारी और लक्षण को बाहर आने से रोकती है। यह एंटीबॉडी 3 से 4 हफ्ते तक चल जाती है। तब तक मरीज ठीक हो जाता है। इस दवा के सेवन से मरीज को इलाज के लिए एडमिट होने की नौबत कम आती है। इससे मौत को भी कम करने में मदद मिलती है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह दवा भारत में पाए गए पहले कोरोना वैरिएंट पर भी कारगर है।

मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का पहली बार इस्तेमाल गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में हुआ है। यहां 82 साल के मरीज को मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल की खुराक दिए जाने के एक दिन बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। इसके एक डोज़ के लिए आपको 59,750 रुपये देने होंगे। एक कंबाइंड डोज कुल 1200 एमजी का है। इसमें समें 600 mg कैसिरिविमैब और 600 mg इम्डेविमैब शामिल है।