उत्तर प्रदेश के फतेहगढ़ में सेना के एक लेफ्टिनेंट कर्नल को एक महिला के साथ अवैध संबंध और वित्तीय धोखाधड़ी का दोषी पाया गया है। जिसके बाद जनरल कोर्ट मार्शल (जीसीएम) की कोर्ट ने बीते शनिवार को उसे दो साल के कठोर कारावास और सेवा से बर्खास्तगी (असम्मानजनक बर्खास्तगी) की सजा सुनाई।
राजपूत रेजिमेंटल सेंटर (आरआरसी) फतेहगढ़ से संबद्ध आर्मी सर्विस कोर (एएससी) के लेफ्टिनेंट कर्नल अविनाश गुप्ता पर लखनऊ सब एरिया के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) ने सेना अधिनियम के तहत कई आरोपों में मुकदमा चलाने का आदेश दिया था। इस मामले को लेकर कर्नल अभिषेक गुप्ता जीसीएम यानी कोर्ट मार्शल के पीठासीन अधिकारी थे।
लेफ्टिनेंट कर्नल गुप्ता को चार आरोपों में दोषी पाया गया है। पहले तीन आरोप आर्मी एक्ट की धारा 52 (एफ) के तहत धोखाधड़ी वाले लेन-देन से संबंधित थे और चौथा आरोप धारा 45 के तहत ‘अशोभनीय आचरण’ से संबंधित था, जिसमें एक महिला के साथ ‘अवैध’ संबंध बनाने का आरोप शामिल था।
रेलवे टिकट को लेकर था आरोप
लेफ्टिनेंट कर्नल गुप्ता पर लगे आरोपों की बात करें तो 2013 और 2014 के दौरान हिसार में 5001 एएससी बटालियन में उन्होंने सेवा की थी। 14 सितंबर 2020 को यूपी की 57 एनसीसी बटालियन के साथ सेवा करते हुए उन्होंने 2013 में हिसार में सेवा करते समय अपने नाम पर जारी किए गए 40 प्रतिशत के दो रियायत देने वाले वाउचर का उपयोग करके लखनऊ से नई दिल्ली जाने और वापस की यात्रा के लिए रेलवे टिकट बुक किए।
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चूंकि रियायत देने वाले वाउचर के पन्नों पर अधिकारी के हस्ताक्षर थे और जारी करने वाले अधिकारी के रूप में 5001 एएससी बटालियन की मुहर लगी हुई थी। इसके साथ ही मामले की अन्य परिस्थितियों के कारण जीसीएम ने उसे दोनों आरोपों में दोषी पाया।
मकान किराया भत्ते का झूठा दावा
लेफ्टिनेंट कर्नल गुप्ता पर तीसरा आरोप था कि उन्होंने ‘X’ श्रेणी के शहर दिल्ली का मकान किराया भत्ता (HRA) का धोखाधड़ी किया था। उनका परिवार लखनऊ में रह रहा था। लखनऊ ‘Y’ श्रेणी का शहर है जहां गुप्ता की पत्नी और बेटी रहती थीं। जांच के समय उनका बेटा राष्ट्रीय सैन्य स्कूल बेंगलुरु के राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) में था।
अधिकारी ने अपने पर लगे आरोपों के बचाव में कहा कि उसकी मां दिल्ली में रहती थी और उसका परिवार भी वहीं रहता था। उसकी मां उसी पर आश्रित थी। हालांकि गुप्ता द्वारा ‘मां’ को आश्रित के रूप में शामिल नहीं किया गया था। वहीं उसकी पत्नी के साक्ष्य उसके खिलाफ गवाही दे रहे थे। गुप्ता की पत्नी वायु सेना की पूर्व अधिकारी है। उसने कहा कि वह और उसकी बेटी लखनऊ में रहती थीं और उनका दिल्ली आना-जाना केवल तीन-चार दिनों के लिए ही था। कोर्ट ने उसे इस आरोप में दोषी पाया। दरअसल क्लास ‘एक्स’ शहर (दिल्ली) की एचआरए राशि क्लास ‘वाई’ शहर (लखनऊ) की एचआरए राशि से अधिक है जिसको लेकर अधिकारी ने धोखाधड़ी का दावा किया था।
पत्नी की शिकायत पर शुरू हुई थी कार्रवाही
लेफ्टिनेंट कर्नल गुप्ता पर चौथा आरोप सेना अधिनियम की धारा 45 के तहत लगाया गया था। इस आरोप में गुप्ता पर एक महिला के साथ अवैध संबंध बनाने के लिए ‘अनुचित आचरण’ का आरोप लगाया गया था। गुप्ता के पड़ोसियों, नौकरानी और एक अन्य कर्मचारी के साक्ष्य के अनुसार वो महिला और गुप्ता दोनों एक ही सरकारी अधिकारी आवास में रह रहे थे।
यह कार्यवाही उनकी पत्नी की शिकायत पर तब शुरू हुई थी, जब उसने पाया था कि महिला उनके आवास में रह रही है। अधिकारी ने महिला का गैस कनेक्शन भी अपने आधिकारिक आवास के पते पर स्थानांतरित कर दिया था। कानपुर के वायुसेना अस्पताल से कुछ चिकित्सा उपचार रिकॉर्ड भी प्रस्तुत किए गए। इस रिकॉर्ड के अनुसार अधिकारी की पत्नी का नाम भी शामिल था। जबकि गुप्ता की पत्नी ने कोर्ट मार्शल में साक्ष्य देते हुए कहा था कि वह कभी अस्पताल नहीं गई थीं।
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इसके अलावा उसकी पिछली यूनिट द्वारा एक आश्रित कार्ड जारी किया गया था। जिस पर आरोपी का कर्नल पद अंकित था। हालांकि वह उस समय तक लेफ्टिनेंट कर्नल था और उस पर उसकी पत्नी का नाम भी था। हालांकि उस पर चिपकाई गई तस्वीर दूसरी महिला की थी।
जिसके जवाब में अधिकारी गुप्ता का बचाव यह था कि महिला उसकी दोस्त थी और उससे नियमित रूप से मिलने आती थी। हालांकि उन सबूतों को ध्यान में रखते हुए जिनसे पता चला कि अधिकारी और महिला एक पति-पत्नी जैसा व्यवहार कर रहे थे। ऐसे में मामले की अन्य परिस्थितियों को देखते हुए कोर्ट मार्शल ने उसे दोषी पाया। जिसके बाद मामले में निष्कर्ष और सजा की घोषणा कर दी गई है, जो कोर्ट मार्शल के संयोजक प्राधिकारी द्वारा पुष्टि के अधीन है।