केन्द्र सरकार स्वच्छ भारत अभियान के तहत ग्रामीण स्तर पर बड़ी संख्या में शौचालयों का निर्माण करा रही है। लेकिन हाल ही में हुए एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि देश की कुल 665 जिला अदालतों में से 100 जिला अदालतों में महिलाओं के लिए एक भी शौचालय नहीं है। इतना ही नहीं जिनमें शौचालय है, उनमें भी सिर्फ 40% शौचालय ही काम कर रहे हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार, सर्वे में खुलासा हुआ है कि देश की आधी जिला अदालतों में वेटिंग रुम की व्यवस्था भी नहीं है। केवल 39% जिला अदालतों में ही पोस्ट ऑफिस, बैंक, कैंटीन, फोटोकॉपी मशीन, टाइपिस्ट और नोटरी की व्यवस्था है। वहीं तथ्य ये है कि सरकार जिला अदालतों के आधुनिकीकरण पर करीब 7000 करोड़ रुपए खर्च कर रही है।
बता दें कि यह सर्वे दिल्ली बेस्ड एक थिंक टैंक ‘विधि’ द्वारा किया गया है। यह थिंक टैंक देश में न्यायिक सुधार की दिशा में काम करता है। सर्वे के मुताबिक केवल 40% जिला अदालतों में ही शौचालयों की व्यवस्था है। गोवा, झारखंड, यूपी और मिजोरम की जिला अदालतों में शौचालयों की उपलब्धतता सबसे कम है। सर्वे की यह रिपोर्ट गुरुवार को जारी की गई, जिसमें कोर्ट परिसर में ही 6,650 लोगों से बात के आधार पर तैयार किया गया है।
सर्वे के अनुसार, देश में सिर्फ 54% या कहें कि 361 जिला अदालतों में ही सही तरह से वेटिंग रुम की व्यवस्था है। सुरक्षा के मामले में भी देश की जिला अदालतों की हालत बहुत अच्छी नहीं है। बता दें कि सिर्फ 11% जिला अदालतों में ही समान की जांच के लिए स्कैनिंग मशीन की व्यवस्था है। 30% कॉम्पलेक्स में आग से बचने के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं और केवल 48% में आपातकालीन स्थिति में निकलने के लिए इमरजेंसी द्वार की व्यवस्था है।
जिन राज्यों में जिला अदालतों की हालत बेहतर है, उनमें दिल्ली, केरल, मेघालय, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं। वहीं बिहार, मणिपुर, नागालैंड, पश्चिम बंगाल और झारखंड में जिला अदालतों की हालत बेहद खराब है।