बिहार में संभावित कोरोना मरीजों की जांच में कितनी लापरवाही बरती जा रही है, इसका ताजा मामला भागलपुर जिला अस्पताल में सामने आया है। भागलपुर के रहने वाले चंद्रभानु कुमार ने कोरोना की जांच कराई ही नहीं फिर भी उनके मोबाइल पर अस्पताल से संदेश आया कि उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई है। इससे पहले भी कई लोगों ने ऐसी शिकायतें की हैं।
संदेश देख चंद्रभानु अचरज में पड़ गए। वह मंगलवार (28 जुलाई ) को अस्पताल पहुंचे। जांच काउंटर पर उन्होंने मोबाइल पर आए संदेश को दिखाया। साथ ही बोले कि जब मैंने जांच के लिए नमूना ही नहीं दिया तो रिपोर्ट निगेटिव कैसे आ गई। इस पर काउंटर पर बैठे व्यक्ति गलती मानने के बजाए उनसे ही उलझ गए और बकझक करने लगे।
चंद्रभानु ने बताया कि उसने जांच कराने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। उसके साथियों ने जांच भी कराई थी। उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव बताई गई और मेरी निगेटिव, जबकि उसने जांच ही नहीं कराई। उसने बताया, मेरी तबियत ठीक नहीं लग रही थी तो मैं बगैर जांच कराए वापस लौट आया था। अब चंद्रभानु अस्पताल प्रशासन से पूछ रहे हैं कि जब उन्होंने नमूना ही नही दिया तो रिपोर्ट निगेटिव कैसे आ गई?

बता दें कि चंद्रभानु भागलपुर में छात्रावास में रहकर पढ़ाई करते हैं। उनके लॉज में साथ रह रहे कुछ साथी की रिपोर्ट पॉजिटिव आने की वजह से वह भी जांच कराने पहुंचे थे। जब इस अजब मामले की जानकारी जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में बने कोरोना नियंत्रण कक्ष में तैनात प्रशिक्षु आईएएस दीपक मिश्र को मिली तो वे फौरन सदर अस्पताल पहुंचे। उन्होंने मामले की जानकारी ली। उन्होंने बताया कि तकनीकी भूल हो सकती है। सिविल सर्जन से इस सिलसिले में बातचीत कर सुधार किया जाएगा। ताकि ऐसी भूल दोबारा न हो।
हालांकि, इसके पहले सैकड़ों लोगों की कोरोना जांच के लिए रजिट्रेशन और सैंपल लिया गया है। अगर इसी तरह की तकनीकी चूक हुई होगी तो कितने निगेटिव और पॉजिटिव की झूठी रिपोर्ट लोगों को संक्रमित कर चुकी होगी। जो संक्रमित नहीं है वे और उनका परिवार खामख्वाह दुश्वारियां झेलने को मजबूर हुआ होगा?