डब्ल्यूएचओ ने कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन को चिंतित करने वाले वायरस के रूप में दर्ज किया है। इसके साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि इसके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलने की संभावना है और संक्रमण के बढ़ने का बहुत अधिक जोखिम है।
डब्ल्यूएचओ के इस कदम पर अब सवाल भी उठने लगे हैं। स्वास्थ्य एक्सपर्ट ओमिक्रोन को चिंतित करने वाले कैटेगरी (वीओसी) में डालने पर इसे जल्दबाजी में उठाया गया कदम बता रहे हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ के प्रोफेसर एड फील ने इस कैटोगरी में डालने के लिए डब्लूएचओ की आलोचना की है। द कन्वरसेशन में छपे एक लेख के अनुसार उन्होंने कहा कि वायरस के इस वैरिएंट को वीओसी घोषित करने में जो तेजी दिखाई गई है, वह हैरान करने वाली है। इस वैरिएंट को पता चले सिर्फ दो सप्ताह से थोड़ा अधिक का समय ही बीता है।
उन्होंने कहा कि इसकी तुलना डेल्टा संस्करण से करें जो वर्तमान में यूरोप और दुनिया के कई अन्य हिस्सों में सक्रिय है। इस संस्करण का पहला मामला भारत में अक्टूबर 2020 में सामने आया था। अन्य कई देशों में इसके मामलों में जबरदस्त उछाल के बावजूद, इसे वीओसी का दर्जा मिलने में कम से कम छह महीने का समय लगा था। हालांकि इस मामले में उत्पन्न खतरे को पहचानने में निश्चित रूप से सुस्ती दिखाई गई थी। जिससे दुनिया को नुकसान उठाना पड़ा और शायद इसीलिए इस मामले में इतनी तेजी दिखाई है, जो कि सही नहीं है। बिना उचित डाटा के डब्लूएचओ ने ये कदम उठाया है।
उन्होंने आगे लिखा है वायरस के मामले में तीन प्रकार के लक्षण होते हैं जो एक नए वैरिएंट से होने वाले उत्पन्न खतरे को निर्धारित करते हैं। ये हैं संप्रेषणीयता, विषाणु और प्रतिरक्षा प्रणाली को भेदने की शक्ति। इन तीनों चीजों का पता लगाने के लिए प्रयोगशाला में विस्तृत रूप से प्राप्त डाटा का गहनता से निरीक्षण किया जाता है।
प्रोफेसर ने आगे कहा कि अब सवाल यह पैदा होता है कि ओमिक्रोम संस्करण में ऐसा क्या है, जिसने डब्ल्यूएचओ और दुनिया भर के कई विशेषज्ञों को इतने कम डेटा के साथ इसे वीओसी घोषित करने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। क्या उनकी यह चेतावनियां उचित हैं कि यह वैरिएंट अब तक सामने आए तमाम वैरिएंट्स में ‘‘सबसे चिंताजनक’’ है? अभी तक ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है, जिससे यह अनुमान लगाया जा सके कि ओमिक्रोन अधिक गंभीर बीमारी का कारण बनता है, लेकिन इस बारे में लगभग कोई डेटा उपलब्ध नहीं है।
बता दें कि इस वैरिएंट का पता अफ्रीका में चला है। इसके बारे में बताया जा रहा है कि यह तेजी से फैलता है और इसपर टीके का प्रभाव नहीं पड़ता है। हालांकि इस मामले को लेकर अभी विस्तृत डाटा उपलब्ध नहीं है।