इस बारे में ‘फेयर शेयर फॉर चिल्ड्रेन- प्रिवेंटिंग द लॉस आॅफ ए जेनरेशन टू कोविड-19’ नाम से एक रिपोर्ट काफी चर्चा में रही है। यह रिपोर्ट चौंकाने वाले रहस्यों का उद्घाटन करती है।

रिपोर्ट खुलासा करती है कि कोरोना महामारी की वजह से स्कूलों के बंद रहने से दुनिया के करीब एक अरब बच्चों की शिक्षा तक पहुंच संभव नहीं हो पा रही है। घर पर इंटरनेट की अनुपलब्धता के कारण 40 करोड़ से अधिक बच्चे आॅनलाइन शिक्षण कार्यक्रमों का उपयोग करने में असमर्थ हैं। 34 करोड़ 70 लाख बच्चे स्कूलों के बंद होने से पोषाहार के लाभ से वंचित हैं।

परिवारों के पास खाना नहीं होने से सबसे कम उम्र के बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। इसलिए अगले छह महीने में पांच साल से कम उम्र के 10 लाख 20 हजार से अधिक बच्चों के कुपोषण से काल के गाल में समा जाने का अनुमान है। कोरोना महामारी से पैदा हुए आर्थिक संकट की वजह से घरेलू आय में भारी कटौती से सबसे गरीब परिवारों के बच्चों का स्कूल जाना बंद हुआ है, जिससे वे बाल श्रम, गुलामी और बाल विवाह करने को मजबूर हुए हैं।