दीपक रस्तोगी

सोनिया और राहुल गांधी के विदेश से लौटने के साथ ही कांग्रेस में विधानसभा चुनाव नतीजों की समीक्षा बैठकों और पार्टी मशीनरी को नया रंग-रूप देने के लिए मंथन के एजंडे पर काम शुरू हो गया है। चुनाव में कमान संभालने वाले नेताओं पर उंगली न उठे- इसके लिए आंकड़ों को नए सिरे से परिभाषित कर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। कांग्रेस का ताजा विश्लेषण यही है कि मुर्झाई हुई कांग्रेस में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों ने नई संजीवनी का संचार किया है और पार्टी पुनर्जीवन की ओर बढ़ी है। 2014 के चुनाव में जमीन पकड़ने के बाद से पार्टी क्रम से उठान की ओर है।  अब कांग्रेस पार्टी में संगठनात्मक बैठकों का दौर-दौरा शुरू होगा। पार्टी को इसी साल अपने संगठन चुनाव कराने हैं। राहुल गांधी को पहले से ही कमान दिए जाने की तैयारी है। उनकी मदद के लिए उनकी बहन प्रियंका गांधी को पार्टी में अहम पद दिए जाने की कवायद पहले से चल रही है। विधानसभा चुनाव नतीजों को लेकर बागी सुर सुनाई दे रहे हैं। ऐसे सुरों को साधने के लिए चुनावी आंकड़ों को परिभाषित किया जा रहा है। पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद का तर्क है, ‘कांग्रेस ने पंजाब में सरकार बनाई। गोवा और मणिपुर में नंबर एक पार्टी बनी। भाजपा ने दोनों राज्यों में हेर-फेर से सरकार बनाई। इन राज्यों में सफलता का श्रेय राहुल गांधी की टीम को जाता है।’ खुर्शीद के अनुसार, पंजाब, गोवा और मणिपुर ने जिस तरह से कांग्रेस में भरोसा जताया है, उससे स्पष्ट है कि नई पीढ़ी जल्द ही भगवा पार्टी से ऊब रही है। नई पीढ़ी को भाजपा सरकार का एजंडा नहीं भा रहा है।

कांग्रेस पार्टी इसी तरह की बातें आंकड़ों के हवाले से कहने की तैयारी में है। कांग्रेस पार्टी 2014 और बाद के चुनावों में जीती हुई सीटें और मिले वोटों की तुलना कर रही है। दस राज्यों- महाराष्ट्र, झारखंड, बिहार, दिल्ली, बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम, उत्तर प्रदेश और पंजाब में 2014 के बाद विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इन राज्यों से लोकसभा की 60 फीसद सीटें आती हैं। 2014 में इन राज्यों की कुल 1544 विधानसभा सीटें कांग्रेस ने लड़ी थीं और तब के नतीजों के हिसाब से कांग्रेस 194 सीटें जीती थीं। उस समय पार्टी को सिर्फ 13 फीसद वोट मिले थे। बाद में जब इन राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस ने कुल 258 सीटें जीती और उसे 25 फीसद वोट मिले हैं। 2014 में इन राज्यों के 100 मतदाताओं में से 20 ने कांग्रेस को वोट किया था। अब यह आंकड़ा 30 वोटरों का है। इस तरह के अंकगणित के जरिए कांग्रेस पार्टी यह बताना चाहती है कि उसका प्रदर्शन 50 फीसद बढ़ा है। लिहाजा, इसे मौजूदा नेतृत्व पर मुहर माना जा सकता है। विधानसभा चुनाव के पहले नई दिल्ली में जन वेदना सम्मेलन के जरिए जिस तरह से राहुल गांधी के नेतृत्व में आस्था जताई गई थी, उससे पहले ही साफ हो गया था कि कांग्रेस पार्टी में उनकी ताजपोशी की तैयारी चल रही है। अभी कर्नाटक में और अतीत में उत्तराखंड व असम में खुलकर हुई बगावत को लेकर फिलहाल पार्टी का कोई नेता नहीं बोल रहा। कांग्रेस के एक महासचिव के अनुसार, संगठन को आकार देने के बाद राज्यों को दुरुस्त करने का अभियान छेड़ा जाएगा।