कैराना में हिंदुओं के कथित पलायन की सचाई जानने के लिए पांच हिंदू संतों के दल को भेजे जाने पर बहस के बीच कांग्रेस प्रवक्ता भड़क गए। कांग्रेस प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने महिला एंकर पर भड़कते हुए कहा- मुझे मुद्दा मत सिखाओ और बदतमीजी से पेश मत आओ। एंकर ने कहा था कि आप कैराना की बात करें, मुद्दे से भटकें नहीं।

अखिलेश प्रताप कह रहे थे कि गुजरात दंगों के बाद वहां जांच के लिए संतों को क्यों नहीं भेजा गया। उनका कहना था कि गुजरात भी संतों को भेज जाए। एंकर ने उनसे कहा कि आप कैराना कि बात करें। इस पर अखिलेश प्रताप ने कहा कि “आप सवाल पूछिए, मैं क्या बोलूंगा यह मैं ही तय करूंगा।” एंकर अदिति त्यागी ने कहा कि अगर आप मुद्दे से भटकेंगे तो आपको मुद्दे पर लाना मेरी ड्यूटी है। इसी बात पर अखिलेश प्रताप आपा खोते लगे।

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कांग्रेस MLA पंकज मलिक का कहना था कि भय की वजह से लोगों ने कैराना छोड़ा। बहस में मौजूद हिन्‍दू महासभा के अध्‍यक्ष स्‍वामी चक्रप‍ाणि ने कहा कि “कैराना में क्षेत्रीय स्‍तर की गुंडई है, जिसकी वजह से लोगों में डर है। हम जब लोगों से मिले तो उन्‍होंने कहा कि कोई किसी को पूजा करने से नहीं रोकता है। लोगों का कहना है कि सब मिल-जुलकर रहते हैं।”

समाजवादी पार्टी के सैयद आसिम वकार ने कहा कि “हिन्‍दू संत बंटे हुए हैं। स्‍वामी चक्रपाणि ने ईमान की बात की है, इसलिए भाजपा के लिए बुरे हो गए।” इस पर राकेश सिन्‍हा ने काउंटर करते हुए वकार से पूछा कि “हिन्‍दू महासभा नाथूराम गोडसे की जयंती मनाना चाहता है, क्‍या आप उसे ऐसा करने देंगे?”

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बता दें कि उत्तर प्रदेश की सपा सरकार ने पांच संतों का दल कैराना भेजा था। यह दल उत्तर प्रदेश सरकार को अपनी रिपोर्ट देगा। दल को भाजपा सांसद हुकुम सिंह के आरोपों की जांच के लिए भेजा गया था। शामली के सांसद हुकुम सिंह ने 346 हिंदुओं की सूची जारी की थी और कहा था कि वे मुस्लिमों के डर से पलायन कर गए हैं। हालांकि बाद में उन्होंने कहा था कि पलायन का कारण सांप्रदायिक नहीं, अपराधियों का भय है।