हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 37 सीटें पाकर बहुमत के आंकड़े से 9 सीटें दूर रह गई। बीजेपी ने 48 सीटें पाकर तीसरी बार लगातार जीत हासिल कर ली। कांग्रेस के पिछड़ जाने में 16 सीटों का अहम रोल रहा, जहां या तो निर्दलीय उम्मीदवार भूमिका में थे या बागी उम्मीदवार पार्टी का खेल खराब कर रहे थे। चुनाव के परिणामों से जुड़े एक आंकड़े पर नजर डालें तो 15 सीटें ऐसी रही हैं जहां निर्दलीय उम्मीदवारों ने हार के अंतर से ज़्यादा वोट हासिल किए हैं। इनमें से 12 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है जबकि कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही है। दो सीटें कांग्रेस ने जीती है और 1 पर आईएनएलडी के उम्मीदवार ने कांग्रेस को हराया है।
इन 12 सीटों में से 3 सीट ऐसी थीं जहां कांग्रेस के बागी उम्मीदवार तीसरे स्थान पर थे। इसके अलावा 4 और सीटों पर जहां कांग्रेस हारी है, बागी उम्मीदवार या तो जीते हैं या दूसरे स्थान पर रहे। इसका सीधा मतलब है कि 7 सीटों पर कांग्रेस को अपने ही बागियों के मैदान में होने के कारण हार का सामना करना पड़ा है, जबकि 9 अन्य सीटों पर निर्दलीयों ने स्थिति को इतना बिगाड़ दिया कि कांग्रेस को हार मिली और बीजेपी ने जीत दर्ज की है।
यह आंकड़े बताते हैं कि कांग्रेस गुटबाजी पर लगाम लगाने में विफल रही, कांग्रेस ने टिकट बांटने में गड़बड़ी की और अपने ही कार्यकर्ताओं के भीतर पनपी नाराजगी को दबा नहीं सकी।
उदाहरण से समझिए पूरा गणित
अंबाला सीट: अंबाला कैंट सीट पर कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही, जहां भाजपा के अनिल विज 7,000 से ज़्यादा वोटों से जीते। दूसरे स्थान पर निर्दलीय चित्रा सरवारा रहीं, जो अंबाला शहर से कांग्रेस नेता निर्मल सिंह मोहरा की बेटी हैं। सरवारा कांग्रेस से टिकट चाहती थीं लेकिन पार्टी ने एक ही परिवार में दो टिकट नहीं देने का फैसला किया, इसलिए उन्हें टिकट नहीं मिला। सरवारा को 52,000 से ज़्यादा वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 14,000 वोट मिले हैं।
बहादुरगढ़ सीट: बहादुरगढ़ में कांग्रेस के बागी राजेश जून ने जीत दर्ज की है और मौजूदा कांग्रेस विधायक राजेंद्र जून तीसरे स्थान पर रहे हैं। सितंबर की शुरुआत में कांग्रेस के हरियाणा के लिए अपनी पहली लिस्ट जारी करने के तुरंत बाद राजेश जून ने घोषणा की थी कि वह निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ेंगे और कहा था कि पार्टी ने उन्हें धोखा दिया है। 2019 में भी उन्हें पार्टी के कहने पर अपना नामांकन वापस लेना पड़ा था। उनके बागी हो जाने के बाद कांग्रेस ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए छह साल के लिए निलंबित कर दिया था। अब जीतने के बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए हैं।
बल्लभगढ़ सीट: बल्लभगढ़ सीट पर कांग्रेस की प्रत्याशी पराग शर्मा चौथे स्थान पर रही हैं और उन्हें सिर्फ 8674 वोट मिले हैं। जबकि कांग्रेस की बागी प्रत्याशी शारदा राठौर दूसरे नंबर पर रहीं और उन्हें 44076 वोट मिले हैं। इस सीट पर भाजपा के मूलचंद शर्मा ने जीत दर्ज की है उन्हें 61,000 से ज़्यादा वोट मिले हैं, तीसरे स्थान पर निर्दलीय राव राम कुमार रहे जिन्हें 23,000 वोट मिले हैं।
पुंडरी सीट: पुंडरी विधानसभा में कांग्रेस के बागी सतबीर भाना ने 40,000 से ज़्यादा वोट हासिल किए हैं। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार सुल्तान जडौला तीसरे स्थान पर रहे और उन्हें 26341 वोट मिले हैं। सतबीर भाना ने 2019 के चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। इस बार उन्हें टिकट नहीं मिला और वे बागी हो गए। निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ने की घोषणा करने के बाद उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था। इस सीट से भी बीजेपी उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है।
उचाना कलां सीट: उचाना कलां में कांग्रेस सिर्फ 32 वोटों से भाजपा से हार गई। कांग्रेस के बागी वीरेंद्र घोघरियां तीसरे नंबर पर रहे और उन्हें 31,000 से ज़्यादा वोट मिले। टिकट न मिलने के बाद निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपनी उम्मीदवारी की घोषणा करने के बाद उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया था।
बधरा सीट: बधरा में कांग्रेस भाजपा से 7,500 से ज़्यादा वोटों से हारी। कांग्रेस के बागी सोमवीर घसोला जिन्होंने टिकट न मिलने के बाद निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा था, 26,000 से ज़्यादा वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे। घसोला को चुनाव से ठीक पहले पार्टी से निकाल दिया गया था।
गोहाना सीट: गोहाना में भी कांग्रेस उम्मीदवार जगबीर सिंह मलिक भाजपा से 10,000 से अधिक मतों से हार गए, जबकि कांग्रेस के बागी हर्ष छिकारा 14,000 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। छिकारा ने टिकट न मिलने पर निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा था।
दादरी, होडल, कालका, महेंद्रगढ़, राई, सफीदों, समालखा, सोहना और तोशाम जैसी सीटों पर भी कांग्रेस के लिए निर्दलीयों ने खेल खराब किया। जहां उन्हें कांग्रेस की हार के अंतर से ज़्यादा वोट मिले।
बीजेपी को दो सीटों पर बागी प्रत्याशियों ने पहुंचाया नुकसान
भाजपा को भी बगावत का सामना करना पड़ा और पार्टी को दो सीटों पर हार मिली। पृथला में भाजपा के बागी नयनपाल रावत ने 22,000 से अधिक वोट हासिल किए और तीसरे स्थान पर रहे। यहां भाजपा कांग्रेस से मात्र 20,000 वोटों से हारी। कलायत में भाजपा की बागी अनीता ढुल ने 25,000 से अधिक वोट हासिल किए, जिससे कांग्रेस को 13,000 वोटों के अंतर से सीट जीतने में मदद मिली।